सार
कोटा शहर में छात्रों के लगातार बढ़ते सुसाइड के मामले से कोचिंग संचालक, माता पिता, पुलिस, प्रशासन, एनजीओ सब परेशान हैं। सुसाइड को काबू करने के लिए एक और नया प्रयोग किया जा रहा है। उम्मीद है कि इससे सुसाइड के केसेज में कमी आएगी। जानें क्या बदला गया।
कोटा शहर..... यानी कोचिंग नगरी जो अब धीरे-धीरे सुसाइड सिटी बनती जा रही है। कोटा में इस साल दो दर्जन से भी ज्यादा सुसाइड और मौते हो चुकी है कोचिंग के छात्रों की। इस कारण कोचिंग संचालक, माता पिता, पुलिस, प्रशासन, एनजीओ... सब परेशान हैं। सुसाइड को काबू करने के लिए नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी तरह का एक और बड़ा मामला अब सामने आया है। उम्मीद है कि इससे सुसाइड के केसेज में कमी जरूर आएगी।
कोचिंग संचालकों और प्रशसनिक पदाधिकारियों की बैठक हुई
दरअसल कोटा जिले में करीब दो हजार से ज्यादा छोटे बड़े कोचिंग हैं। इनमें पढ़ने के लिए हर साल करीब दो लाख बच्चे देश भर से यहां आते हैं। वे डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना लेकर पहुंचते हैं लेकिन उनमें से कुछ का यह सपना सरकारी अस्पतालों के मुर्दाघर में रखी गंदी टेबलों पर लाश बनकर टूट जाता है। इसे ही काबू करने के लिए कोचिंग में हाजिरी के पैटर्न को बदलना शुरू कर दिया गया है। इसके लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों, डॉक्टर्स, कोचिंग संचालक और एनजीओ के पदाधिकारियों की बैठक हुई है।
ऐसे रखी जाएगी छात्रों पर नजर… बायोमेट्रिक अटेंडेंस और बहुत कुछ
कलक्टर एमपी मीना ने कहा कि कोचिंगों में इतने बच्चे पढ़ते हैं कि कुछ एब्सेंट भी हो जाएं तो फर्क नहीं पड़ता और न ही कोचिंग वालों को इसका पता लग पाता है। यही कारण है कि अब बायोमेट्रिक से हाजिरी शुरू करने की तैयारी कर ली है। हास्टल संचालक भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं, उनके लिए भी एक तरह की गाइड लाइन तैयार कर रहे हैं। कोचिंग संचालकों के लिए अब यह जरूरी कर रहे हैं कि वे बायोमेट्रिक से हाजिरी करें। ताकि यह पता चल सके कौन बच्चे छुट्टी पर हैं, कितने दिन से छुट्टी पर हैं। उनके बारे में जानकारी जुटाकर सीधे उनके परिवार से कोचिंग संचालक बात करें और उनके बारे में परिवार को बताएं। इस मीटिंग में एसपी सिटी शरद चौधरी समेत अन्य पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौजूद थे।
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