सार
आईआईटी-बॉम्बे ने स्टूडेंट और फैकल्टी दोनों पर पॉलिटिकल बातचीत और सेमिनार आयोजित करने पर रोकने लगा दी है। ये नियम एक पीएचडी छात्र ओंकार सुपेकर से जुड़ी घटना के मद्देनजर बनाये गये हैं, जिन्होंने एक गेस्ट फैकल्टी के बारे में पुलिस से शिकायत की थी।
IIT-Bombay: एक गेस्ट लेक्चर में हाल की गड़बड़ी के बाद आईआईटी-बॉम्बे ने स्टूडेंट और फैकल्टी दोनों पर पॉलिटिकल बातचीत और सेमिनार आयोजित करने पर रोकने लगा दी है। जारी नई गाइडलाइन के अनुसार अब पॉलिटिकल नेचर की बातचीत के लिए बाहरी वक्ताओं को आमंत्रित करने के लिए एक समीक्षा समिति की अनुमति लेनी आवश्यक होगी। इसके अलावा कैंपस के अंदर विरोध सभाओं के लिए और वीडियो-रिकॉर्डिंग प्रोग्राम के लिए आयोजकों और वक्ताओं को पुलिस की अनुमति लेनी होगी।
रजिस्ट्रार द्वारा जारी डॉक्यूमेंट में छात्रों, फैकल्टी के लिए दिशानिर्देश
आईआईटी-बी रजिस्ट्रार द्वारा जारी डॉक्यूमेंट में कहा गया है, संस्थान शैक्षणिक विषयों पर स्वतंत्र और खुली चर्चा को प्रोत्साहित करता है, लेकिन यह पॉलिटिकल नहीं रहा चाहिए और इसलिए यह जरूरी है कि हमारे छात्र, फैकल्टी मेंबर और कर्मचारी ऐसी एक्टिविटी/घटनाओं से जो सामाजिक-राजनीतिक विवादों को आमंत्रित कर सकती हैं दूर रहें। जो आईआईटी-बॉम्बे को उसके मुख्य मिशन से भटका सकती हैं या संस्थान को बदनाम कर सकती हैं।
पीएचडी छात्र ओंकार सुपेकर ने की थी पुलिस से शिकायत
ये नियम एक पीएचडी छात्र ओंकार सुपेकर से जुड़ी घटना के मद्देनजर बनाये गये हैं, जिन्होंने फिलिस्तीन की स्थिति पर एक गेस्ट फैकल्टी के बारे में पुलिस से शिकायत की थी कि उन्हें लेक्चर भड़काऊ लगा। वार्ता का आयोजन ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस डिपार्टमेंट की प्रोफेसर शर्मिष्ठा साहा द्वारा किया गया था। गेस्ट लेक्चरर सुधन्वा देशपांडे ने हमास और आतंकवाद का जिक्र किया था।
वीडियो वायरल होने के बाद विरोध
रिपोर्ट के अनुसार ओंकार सुपेकर नाम का छात्र जो इस कोर्स के लिए नामांकित नहीं था, उसने कक्षा में प्रवेश किया और व्याख्यान को अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड किया और इसे ऑनलाइन पोस्ट कर दिया। इसके बाद एक दक्षिणपंथी संगठन ने विरोध प्रदर्शन किया और साहा और देशपांडे की गिरफ्तारी की मांग की। विवेक विचार मंच ने परिसर के गेट पर साहा के नाम और तस्वीर वाले बड़े होर्डिंग्स लेकर नारे लगाए। तब से फैकल्टी ने साहा के आसपास रैंक बंद कर दी है।
संस्थान की ओर से जारी एक लेटर में कहा गया-
संस्थान की ओर से जारी एक लेटर के अनुसार कहा गया है कि विरोधियों ने गुमनाम फोन-कॉल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट के माध्यम से हमारे एक सहकर्मी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और फिजिकल धमकियां दी गईं। इसमें कहा गया कि प्रदर्शनकारियों द्वारा उन्हें देशद्रोही कहा गया, जान से मारने की धमकियां दी गईं और आईआईटी बॉम्बे में उनकी सेवा समाप्त करने की मांग की गई। फैकल्टी के अनुसार पीएचडी छात्र ने कोर्स इंस्ट्रक्चर द्वारा ऐसा न करने के लिए कहने के बावजूद रिकॉर्डिंग की थी। फैकल्टी फोरम ने कहा, उसे कक्षा छोड़ने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने इनकार कर दिया और इसके बजाय उससे आक्रामक तरीके से बात की। पूरे सत्र के दौरान हमारी सहकर्मी ने न तो आतंकवाद के बारे में कोई राय व्यक्त की और न ही हमास के बारे में कोई राय व्यक्त की। कक्षा में व्याप्त डरावने माहौल के कारण वह न तो फिल्म पर और न ही देशपांडे द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम थी।
फैक्ट फाइंडिंग कमिटी नियुक्त, दोषियों पर सख्त कार्रवाई
संस्थान निदेशक ने प्रकरण की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमिटी नियुक्त की है। दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ "सख्त कार्रवाई" प्रस्तावित की जा रही है। निदेशक सुभासिस चौधरी ने कहा कि विरोध करने वाले छात्रों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी। फिर भी संस्थान के फैसले की अंदर ही अंदर आलोचना हो रही है। अंबेडकर पेरियार-फुले स्टडी सर्कल के छात्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में दिशानिर्देशों को "नए नियमों का सेट" कहा है।
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