सार

केरल में अब स्कूली बच्चे सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही झूठी खबरों और दुष्प्रचारों को आसानी से पहचान सकेंगे। राज्य में 5वीं और 7वीं कक्षा के नए आई.सी.टी. पाठ्यपुस्तकों में 'फैक्ट चेकिंग' नामक अध्याय जोड़े गए हैं।

तिरुवनंतपुरम: केरल में अब स्कूली बच्चे सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही झूठी खबरों और दुष्प्रचारों को आसानी से पहचान सकेंगे। ऑनलाइन फैलने वाली फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए विद्यार्थियों को सक्षम बनाने हेतु 'फैक्ट चेकिंग' नामक अध्याय केरल में 5वीं और 7वीं कक्षा के नए आई.सी.टी. पाठ्यपुस्तकों में जोड़े गए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले ब्रिटेन में भी प्राथमिक शिक्षा में ऐसे अध्याय जोड़ने की खबर आई थी। 

'काइट' ने की पहल

2022 में 'सत्यमेव जयते' कार्यक्रम के तहत काइट के नेतृत्व में 5वीं से 10वीं कक्षा तक के 19.72 लाख बच्चों को फर्जी खबरों से बचने के लिए विशेष डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण दिया गया था। 5920 प्रशिक्षकों की मदद से 9.48 लाख प्राथमिक और 10.24 लाख उच्चतर माध्यमिक विद्यार्थियों को यह प्रशिक्षण दिया गया था। 

'सत्यमेव जयते' की सफलता का परिणाम

काइट के सीईओ के. अनवर सादत ने बताया कि 'सत्यमेव जयते' के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए नए आई.सी.टी. पाठ्यपुस्तकों में फर्जी खबरों और दुर्भावनापूर्ण सामग्री की पहचान करने के लिए बच्चों को सक्षम बनाने वाले अध्याय शामिल किए गए हैं। अगले वर्ष संशोधित होने वाले 6वीं, 8वीं, 9वीं और 10वीं कक्षा के आई.सी.टी. पाठ्यपुस्तकों में भी फर्जी खबरों और फैक्ट चेकिंग पर नवीनतम जानकारी शामिल की जाएगी।

क्या सीखेंगे बच्चे?

5वीं कक्षा के 'इंटरनेट पर खोज करते समय' अध्याय में न केवल फर्जी खबरों की पहचान और प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के बारे में बताया गया है, बल्कि स्क्रीन समय को नियंत्रित करने के बारे में भी जानकारी दी गई है। 7वीं कक्षा के 'खोजें, पता लगाएं' अध्याय में भी ऑनलाइन जानकारी की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के तरीके सिखाए जाएंगे। इसमें यह भी बताया गया है कि गलत जानकारी फैलाना और साझा करना अपराध है। जानकारी साझा करने से पहले क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, यह भी पाठ्यपुस्तक में बताया गया है।