सार
Life in an IIT: साई किरीटी ने GATE में पहली असफलता के बाद भी हार नहीं मानी। दूसरी बार में IIT दिल्ली में जगह बनाई। उन्होंने अपनी स्टोरी शेयर करते हुए बताया है कि कैसे IIT कैंपस में उन्होंने पढ़ाई के साथ दोस्ती और जिंदगी का अनोखा अनुभव पाया।
Life at IIT Delhi Campus: IIT में पढ़ना हर इंजीनियरिंग स्टूडेंट का सपना होता है, लेकिन इसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और संघर्ष की जरूरत होती है। यह कहानी IITian साई किरीटी इत्था की है, जिन्होंने अपने सपने को दोबारा जीने का हौसला दिखाया। पहली बार जब वे सफल नहीं हो सके, तो हार मानने के बजाय खुद को और मजबूत बनाया। GATE परीक्षा में दोबारा कोशिश की और आखिरकार IIT दिल्ली में अपनी जगह बनाई। यह सफर केवल पढ़ाई का नहीं था, बल्कि आत्मनिर्भरता, संघर्ष, दोस्ती और सीख का अनोखा अनुभव था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पढिए साई किरीटी इत्था की पूरी कहानी उनके ही शब्दों में।
Sai Kireeti Itha को बचपन से ही संख्याओं और रसायनों का था शौक
मेरा नाम साई किरीटी इत्था (Sai Kireeti Itha) है। बचपन से ही मुझे गणित और रसायन विज्ञान में गहरी रुचि थी। संख्याओं की पहेलियाँ सुलझाना और रासायनिक प्रक्रियाओं का विज्ञान समझना मुझे बेहद रोमांचक लगता था। कक्षा 11 और 12 के दौरान मुझे एहसास हुआ कि मेरा असली जुनून केमिकल इंजीनियरिंग में है, और मैंने इसे ही अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया।
साई किरीटी इत्था कीपहली कोशिश में IIT का सपना अधूरा रह गया
साई किरीटी इत्था कहते हैं- मैं हमेशा से IIT में पढ़ना चाहता था, लेकिन यह सपना मेरी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान पूरा नहीं हो सका। मैंने तमिलनाडु के SASTRA डीम्ड यूनिवर्सिटी से बीटेक (केमिकल इंजीनियरिंग) किया। हालांकि, मेरे मन में IIT का हिस्सा बनने की इच्छा बनी रही। किस्मत ने मुझे दूसरा मौका दिया, जब मुझे IIT बॉम्बे में एक रिसर्च इंटर्नशिप करने का अवसर मिला। वहां का माहौल, रिसर्च का लेवल और नॉलेज के प्रति लोगों का जुनून देखकर मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने सपने को फिर से आजमाना चाहिए, इस बार मास्टर डिग्री के लिए।
मेरी प्रेरणा: परिवार का साथ और संघर्ष
मैं आंध्र प्रदेश के कुरनूल शहर से हूं। मेरा बचपन कृषि क्षेत्रों और तुंगभद्रा नदी के किनारे बीता, जिसने मेरे व्यक्तित्व को आकार दिया। मेरे पिता लक्ष्मी नारायण शेट्टी सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं, और मेरी माँ नागमणि एक गृहिणी हैं। उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किए और हमेशा मुझ पर भरोसा रखा। मुझे पता था कि अगर मैं IIT में जगह बना पाया, तो यह उनके लिए गर्व का पल होगा।
GATE 2022 की असफलता और दूसरी कोशिश
पहली बार जब मैंने GATE 2022 परीक्षा दी, तो मैं सफल नहीं हो सका। लेकिन इस असफलता ने मुझे तोड़ने के बजाय मजबूत बनाया। मैंने अपनी गलतियों से सीखा, कमजोरियों पर काम किया और पहले से बेहतर रणनीति अपनाई। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल किए, मॉक टेस्ट दिए और अपनी समय प्रबंधन क्षमता को बेहतर किया। दूसरी बार, GATE 2023 में मेरी ऑल इंडिया रैंक (AIR) 301 आई। यह मेरे लिए जीत का सबसे बड़ा पल था, क्योंकि मैंने आखिरकार IIT दिल्ली में एमटेक (केमिकल इंजीनियरिंग) में एडमिशन पा लिया।
IIT दिल्ली में नया सफर: चुनौतियां और दोस्ती
जुलाई 2023 में जब मैं IIT दिल्ली पहुंचा, तो सब कुछ नया था। मैंने कक्षा 11 से हॉस्टल लाइफ जी थी, लेकिन उत्तर भारत की जलवायु, संस्कृति और खानपान के साथ तालमेल बिठाना आसान नहीं था। आंध्र प्रदेश में आलू ज्यादा नहीं खाए जाते, लेकिन यहां के पीजी में यह हर दिन मेन्यू में था। धीरे-धीरे मैंने इसे अपनाना सीख लिया। सबसे बड़ी ताकत बनी मुझे मिले दोस्त। हमने साथ में पढ़ाई की, रात में टेबल टेनिस खेला, असाइनमेंट्स में एक-दूसरे की मदद की और हर छोटी-बड़ी सफलता का जश्न मनाया। सबसे खास पल था जब हमारी प्लेसमेंट हुई। उस रात का जोश, उत्साह और खुशी मैं कभी नहीं भूल सकता।
IIT में पढ़ाई और अन्य एक्टिविटीज का बैलेंस
IIT दिल्ली में पहला साल काफी व्यस्त था। लाइब्रेरी में लंबी पढ़ाई, असाइनमेंट्स और क्लासेस से समय निकालना मुश्किल था। लेकिन धीरे-धीरे मैंने खुद को एडजस्ट कर लिया और पढ़ाई के साथ-साथ कुछ नई चीजें भी करने की ठानी। मैंने प्लेसमेंट सेल (Office of Career Services) जॉइन किया, जहां हमें करियर गाइडेंस और प्लेसमेंट से जुड़े कामों में मदद करनी होती थी। तेलुगु कम्युनिटी ग्रुप का हिस्सा बना, जहां हमने कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और अपने राज्य की झलक IIT दिल्ली में बनाई। यहां के प्रोफेसर्स का समर्पण और पढ़ाने का तरीका अद्भुत है। IIT में पढ़ाई ने मुझे सादगी, धैर्य और असफलताओं को अवसर में बदलने की कला सिखाई।
IIT में जिंदगी की छोटी खुशियों का मजा
IIT की लाइफ सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं थी। मैंने यहां कुछ ऐसी छोटी खुशियां भी पाईं, जो हमेशा याद रहेंगी। रात में कैंटीन में तंदूरी पनीर पराठा और तंदूरी चाय का मजा लेना। सर्दियों में कैम्पस की ठंडी गलियों में दोस्तों संग टहलना और बातें करना। जब पढ़ाई का प्रेशर बढ़ता, तो टेबल टेनिस या बैडमिंटन खेलकर खुद को फ्रेश करना।
IIT में खर्चों का मैनेजमेंट और आत्मनिर्भरता
एमटेक के दौरान मुझे ₹12,400 प्रति माह का स्टाइपेंड मिलता था। यह बहुत बड़ी रकम नहीं थी, लेकिन PG और खाने के खर्च को कवर करने के लिए काफी था। मैंने कई बार इंटरमिटेंट फास्टिंग भी की। कभी हेल्थ के लिए, तो कभी पैसे बचाने के लिए।
IIT में सपने पूरे हुए, लेकिन सीखना जारी रहेगा
IIT दिल्ली मेरे लिए सिर्फ एक संस्थान नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी अनुभव रहा। इस सफर ने मुझे संघर्ष करना सिखाया, दोस्ती का असली मतलब बताया और सबसे अहम, मुझे मेरा सपना पूरा करने का मौका दिया। आज जब मैं अपने भविष्य के बारे में सोचता हूं, तो मुझे यकीन है कि IIT में बिताए गए ये साल हर आने वाली चुनौती के लिए मुझे तैयार कर चुके हैं।