सार

दसवीं कक्षा पास करने वाली असम के दारंग में एक मौलाना की बेटी ने साबित किया है कि पढ़ने की लगन हो तो कोई भी परेशानी बड़ी नहीं होती। उसने डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। वहीं जिले के हाफिज का जज्बा भी कुछ ऐसा ही था।

एजुकेशन डेस्क। कहते हैं अगल कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी परेशानी भी बौनी साबित होती है। असम के दारंग जिले में रहने वाली एक मौलाना की बेटी ने इसे सही भी साबित कर दिया है। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली नरगिस जिले के कचहरी भेटी निवासी समशेर अली और नसीरा खातून की पुत्री हैं। समाज के तानों और विरोध के बीच पढ़ाई कर उन्होंने ऊंची उड़ान भरने की तैयारी की है।

अपने सपनों को पूरा करने के लिए नरगिस ने समाज की रूढ़ीवादी परंपरा को तोड़ते हुए अपना रास्ता चुना है। इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी। 2022 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के लिए उनकी पढ़ाई संघर्षों से भरी रही। उन्हें रोजाना 5 किमी पैदल चलने के बाद नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता था। अपने डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के लिए वह रोजाना 12 घंटे पढ़ाई करती थीं. उसकी मेहनत देख शिक्षक भी भरपूर सहयोग करते थे।

मुस्लिम परिवार से होने के कारण पड़ोसी औऱ रिश्तेदार भी दूर पढ़ाई करने जाने के बजाए कुरान और इस्लामी पुस्तकें और तालीम लेने के लिए जोर देते थे।  लेकिन नरगिस स्कूली शिक्षा हासिल करने पर अड़ी थी औऱ परिजनों ने भी उसका सहयोग किया। 

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नरगिस का पढ़ाई के लिए संघर्ष
नरगिस बताती हैं "मैं सिलीगुड़ी में आनंदराम बरुआ एकेडमी की छात्रा थी। 2022 में मैंने दसवीं कक्षा पास की थी. इसमें शिक्षकों ने भी मुझे काफी सहयोग दिया था जिससे मुझे सफलता मिली। मेरी खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए शिक्षकों ने मुझे हर तरह से सपोर्ट किया। एकेडमी ने मुझसे कोई शुल्क नहीं लिया और मुफ्त ट्यूशन भी दिया। यही वजह रही कि 10वीं में मैंने सामाजिक विज्ञान में 96 (100 अंकों में से), गणित में 95, असमिया में 92, वैकल्पिक विषयों में 90, अंग्रेजी में 90 और सामान्य विज्ञान में 78 अंक प्राप्त किए। नरगिस बताती हैं कि वह गोट होजई के अजमल कॉलेज में पढ़ रही हैं और हायर सेकेंडरी परीक्षा के लिए साइंस स्ट्रीम से पढ़ रही है। वह स्क्षी रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हैं।

इसी प्रकार से दारंग जिले के दलगांव की एक अन्य मुस्लिम छात्रा हफीजा बेगम ने आर्थिक तंगी की चुनौतियों को पार करते हुए अपने सपने पूरे करने की ठान ली है। ई-रिक्शा चालक हबीब उल्लाह की बेटी हफीज़ा ने बताया कि आदर्श जातीय विद्यालय, दलगांव से 10वीं की परीक्षा विशेष अंकों के साथ उसने पास की है. हाफिजा डॉक्टर बनना चाहती हैं। content source: Awaz The Voice