सार
सेविंग्स नहीं है तो लोन लेकर या संपत्ति बेचकर भी माता-पिता अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेज रहे हैं।
नई दिल्ली. विदेश जाकर पढ़ाई करना एक आम बात हो गई है। लेकिन, पढ़ाई का खर्चा बहुत ज़्यादा होने के कारण बहुत से लोग अपना यह सपना पूरा नहीं कर पाते हैं। हाल ही में आई एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, चार में से तीन अमीर भारतीय परिवार अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेज रहे हैं।
एचएसबीसी द्वारा करवाए गए ग्लोबल क्वालिटी ऑफ़ लाइफ सर्वे के अनुसार, विदेश में पढ़ाई के लिए सबसे ज़्यादा लोग अमेरिका जाना पसंद करते हैं। उसके बाद यूनाइटेड किंगडम और कनाडा का नंबर आता है। ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
विदेश में पढ़ाई के लिए बहुत ज़्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। एक साल की पढ़ाई का खर्चा लगभग 62,364 डॉलर तक हो सकता है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, माता-पिता अपनी सेविंग्स का 64% तक हिस्सा बच्चों की विदेश में पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं। अगर उनके पास सेविंग्स नहीं है तो वे लोन लेकर या अपनी संपत्ति बेचकर भी अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेजते हैं।
बच्चों को विदेश पढ़ने भेजने का सबसे बड़ा कारण विदेशी शिक्षा की बेहतर क्वालिटी है। सर्वे के अनुसार, माता-पिता का मानना है कि विदेश में पढ़ाई करने से उनके बच्चों को किसी भी क्षेत्र में महारत हासिल करने के ज़्यादा मौके मिलेंगे।
अगर बच्चा विदेश में पढ़ना चाहता है, तो माता-पिता किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। सर्वे में यह भी बताया गया है कि बच्चों के विदेश जाने पर माता-पिता को सबसे ज़्यादा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।