Sharif Osman Hadi: बांग्लादेश के चर्चित छात्र आंदोलन के नेता और इंकलाब मंच के लीडर शरीफ उस्मान हादी के निधन की खबर के बाद लोगों के मन में कई सवाल हैं। सभी जानना चाहते हैं कि उन्होंने कहां से पढ़ाई की थी, परिवार में कौन-कौन हैं? जानिए खास बातें।
Sharif Osman Hadi Biography: साल 2024 के बांग्लादेश छात्र आंदोलन में जिस नाम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, वह था शरीफ उस्मान हादी। गुरुवार, 18 दिसंबर 2025 को सिंगापुर में इलाज के दौरान उनकी मौत की खबर सामने आई। बताया गया कि कुछ दिन पहले हुए हमले में लगी गंभीर चोटों की वजह से उनकी जान चली गई। इस खबर के बाद पूरे बांग्लादेश में शोक और बेचैनी का माहौल बन गया है। हादी की मौत की खबर मिलते ही अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने गहरा दुख जताया और राष्ट्रीय शोक की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि हादी की पत्नी और इकलौते बच्चे की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। इस बीच जानिए आंदोलनकारी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी का एजुकेशन, करियर और फैमिली डिटेल।
शरीफ उस्मान हादी कौन थे? क्यों थे इतने पॉपुलर
शरीफ उस्मान हादी शेख हसीना विरोधी संगठन इंकलाब मंच के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक थे। वह इस मंच के प्रवक्ता भी थे और छात्र राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती थी। जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान इंकलाब मंच अचानक राष्ट्रीय चर्चा में आ गया था और उसी आंदोलन से हादी की पहचान एक बड़े छात्र नेता के तौर पर बनी।
कितने पढ़े-लिखे थे उस्मान हादी, कौन से कॉलेज से की पढ़ाई?
शरीफ उस्मान हादी की पढ़ाई की शुरुआत धार्मिक माहौल में हुई। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा झालोकाठी जिले के नेसराबाद एन एस कामिल मदरसा से ली, जहां आलिम स्तर तक पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग में दाखिला लिया। यहीं से उनकी सोच और राजनीतिक समझ और मजबूत होती चली गई।
उस्मान हादी के परिवार में कौन-कौन?
हादी का जन्म बांग्लादेश के झालोकाठी जिले के नलछिटी उपजिला में हुआ था। उनका परिवार साधारण और धार्मिक पृष्ठभूमि से जुड़ा था। उनके पिता मदरसा शिक्षक थे और स्थानीय मस्जिद में इमाम भी थे। परिवार में कुल छह भाई-बहन में हादी सबसे छोटे थे। अपनी निजी जिंदगी में वह एक पति और पिता भी थे और अपने पीछे पत्नी और एक बच्चे को छोड़ गए हैं।
उस्मान हादी का करियर: आंदोलनकारी से चुनावी राजनीति में आने की तैयारी
हादी सिर्फ आंदोलनकारी ही नहीं थे, बल्कि आगे की राजनीति की तैयारी भी कर रहे थे। वह फरवरी में होने वाले चुनाव में ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रचार कर रहे थे। अगस्त 2024 में शेख हसीना के खिलाफ हुए उग्र छात्र प्रदर्शनों में उनकी भूमिका काफी अहम मानी जाती है। इन्हीं प्रदर्शनों ने उस समय की सत्ता को सबसे बड़ा झटका दिया था।


