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IAF ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सैलरी कितनी है, ISS पर रहने के लिए कितने पैसे मिलेंगे

Shubhanshu Shukla Salary: IAF के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब Axiom Mission-4 से अंतरिक्ष की उड़ान भरने जा रहे हैं। जानिए ISS जाने वाले इस भारतीय एस्ट्रोनॉट की पढ़ाई, फैमिली, करियर, सैलरी और उनके पर्सनल लाइफ की रोचक बातें।

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Anita Tanvi
Published : Jun 10 2025, 05:02 PM IST| Updated : Jun 10 2025, 05:05 PM IST
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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सैलरी कितनी है?
Image Credit : axiom.space

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सैलरी कितनी है?

भारत के फाइटर पायलट और अब अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं। एक तरफ वो ISRO के गगनयान मिशन के लिए चुने गए हैं, वहीं दूसरी ओर वो अमेरिका के स्पेस मिशन Axiom Mission-4 (Ax-4) का भी हिस्सा हैं। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर इस रैंक और जिम्मेदारियों के साथ शुभांशु शुक्ला की सैलरी कितनी होती है? और स्पेस मिशन के लिए उन्हें कितने पैसे मिलेंगे।

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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सैलरी
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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सैलरी

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना (IAF) में ग्रुप कैप्टन के पद पर कार्यरत हैं। यह रैंक सेना में कर्नल के बराबर मानी जाती है। इस रैंक पर मिलने वाली बेस सैलरी करीब ₹1.30 लाख से ₹2.00 लाख प्रति माह होती है। बेसिक सैलरी के अलावा कई तरह के भत्ते (Allowances) भी मिलते हैं। इन सभी को मिलाकर शुभांशु शुक्ला की महीने की कुल इनकम ₹2.5 लाख से ₹3 लाख तक पहुंच सकती है। 

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स्पेस मिशन के लिए शुभांशु शुक्ला को कितने पैसे मिलेंगे
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स्पेस मिशन के लिए शुभांशु शुक्ला को कितने पैसे मिलेंगे

अब बात करें स्पेस मिशन से मिलने वाले विशेष इंसेंटिव की, तो जब कोई अफसर ISRO या विदेशों के साथ जुड़कर स्पेस मिशन का हिस्सा बनता है, तो उसे अलग से ट्रेनिंग भत्ते और स्पेस अलाउंस भी मिलते हैं। Axiom Mission-4 जैसा इंटरनेशनल मिशन होने के कारण शुभांशु शुक्ला को इसमें से अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्टाइपेंड और रिसर्च इंसेंटिव भी मिल सकते हैं। हालांकि इन अमाउंट्स को लेकर कोई ऑफिशियल आंकड़ा सामने नहीं आया है, लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि इस तरह के मिशन में चुने गए अधिकारी को ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक के अतिरिक्त लाभ मिल सकते हैं। वहीं भारत ने एक्सिओम-4 मिशन के लिए 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें शुभांशु की यात्रा, प्रशिक्षण और मिशन के अन्य खर्चे शामिल हैं।

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शुभांशु शुक्ला की पर्सनल लाइफ
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शुभांशु शुक्ला की पर्सनल लाइफ

लखनऊ के पास के एक सामान्य परिवार से आने वाले शुभांशु शुक्ला की पढ़ाई, करियर और अब Axiom Mission-4 में चुना जाना हर युवा के लिए प्रेरणा है। जानिए शुभांशु शुक्ला के IAF Career, सैलरी, फैमिली से लेकर उनकी पर्सनल लाइफ की रोचक बातें।

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शुभांशु शुक्ला का शानदार एजुकेशन क्वालिफिकेशन, NDA से M.Tech तक
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शुभांशु शुक्ला का शानदार एजुकेशन क्वालिफिकेशन, NDA से M.Tech तक

शुभांशु शुक्ला ने अपनी स्कूलिंग लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से की थी। उन्हें बचपन से ही देशभक्ति का जुनून था, खासकर 1999 में कारगिल युद्ध के बाद। परिवार को बिना बताए उन्होंने NDA की परीक्षा दी और उसमें चयनित भी हो गए। 2005 में उन्होंने कंप्यूटर साइंस में B.Sc. किया और इसके बाद बैंगलोर स्थित IISc से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में M.Tech की डिग्री हासिल की।

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 फाइटर पायलट के तौर पर पूरी की ट्रेनिंग
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फाइटर पायलट के तौर पर पूरी की ट्रेनिंग

2006 में उन्होंने भारतीय वायुसेना (IAF) में कमीशन प्राप्त किया और फाइटर पायलट के तौर पर अपनी ट्रेनिंग पूरी की। वे अब तक Su-30 MKI, MiG-21, Jaguar और कई अन्य एयरक्राफ्ट्स पर 2000 घंटे से ज्यादा उड़ान भर चुके हैं। 2024 में उन्हें प्रमोशन के बाद ग्रुप कैप्टन बना दिया गया। उन्होंने रूस और भारत में मिलकर स्पेस ट्रेनिंग भी पूरी की है।

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 Axiom Mission-4 के तहत 14 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रहेंगे शुभांशु शुक्ला
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Axiom Mission-4 के तहत 14 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रहेंगे शुभांशु शुक्ला

ISRO और IAF के Astronaut Training Program में चुने जाने के बाद शुभांशु शुक्ला को भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन Gaganyaan के लिए भी तैयार किया गया है। फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें देश के संभावित अंतरिक्षयात्रियों में से एक घोषित किया। अब वे Axiom Mission-4 (Ax-4) का हिस्सा बनकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की तरफ उड़ान भर रहे हैं। इस मिशन के तहत वह 14 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रहेंगे और 60 से ज्यादा साइंटिफिक रिसर्च स्टडीज को अंजाम देंगे।

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भारत के लिए बेहद खास है शुभांशु शुक्ला का यह मिशन
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भारत के लिए बेहद खास है शुभांशु शुक्ला का यह मिशन

शुभांशु का यह मिशन भारत के लिए बेहद खास है क्योंकि यह पहली बार है जब कोई भारतीय नागरिक वाणिज्यिक स्पेस मिशन का हिस्सा बनकर अमेरिकी और यूरोपीय एस्ट्रोनॉट्स के साथ स्पेस में रिसर्च करेगा। मौसम के कारण लॉन्च थोड़ा टला जरूर है, लेकिन जोश और उम्मीदें बरकरार हैं। अब यह लॉन्च 10 जून के बजाय 11 जून को होगा।

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सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं शुभांशु शुक्ला के पिता
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सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं शुभांशु शुक्ला के पिता

अब बात करते हैं उनके परिवार की, जो हमेशा उनके साथ मजबूती से खड़ा रहा। उनके पिता शम्भु दयाल शुक्ला एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं और मां आशा शुक्ला एक घरेलू महिला हैं। उनका पूरा परिवार बेहद धार्मिक है और शुभांशु की सलामती के लिए सुंदरकांड पाठ और पूजा-पाठ कर रहा है।

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शुभांशु शुक्ला की पत्नी हैं डेंटिस्ट
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शुभांशु शुक्ला की पत्नी हैं डेंटिस्ट

शुभांशु शुक्ला की दो बहनें हैं, एक MBA ग्रेजुएट और दूसरी एक स्कूल टीचर। दिलचस्प बात ये है कि शुभांशु NDA की परीक्षा उस समय दे बैठे थे जब बड़ी बहन की शादी चल रही थी। उनकी पत्नी डॉक्टर काम्या शुभा शुक्ला एक डेंटिस्ट हैं और उनका बेटा कियाश अभी छह साल का है।

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शुभांशु शुक्ला की कामयाबी केवल एक व्यक्ति की नहीं पूरे देश की
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शुभांशु शुक्ला की कामयाबी केवल एक व्यक्ति की नहीं पूरे देश की

शुभांशु शुक्ला की ये कामयाबी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस भारत की पहचान है जो अब स्पेस मिशन में भी अमेरिका, रूस और यूरोप जैसी स्पेस पावर के बराबर खड़ा हो रहा है। Gaganyaan और Ax-4 जैसे मिशनों में भारत की भागीदारी और शुभांशु जैसे अफसरों की मेहनत से यह तय है कि आने वाला समय भारत के लिए और भी उज्ज्वल होगा।

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Anita Tanvi
अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।
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