सार

Vidushi Singh UPSC Inspiring Story: विदुषी सिंह ने UPSC परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल कर IFS बनने का सपना पूरा किया, जो उनके दादा-दादी का था। उन्होंने IAS की बजाय IFS को चुना और दिखाया कि परिवार के लिए समर्पण और कड़ी मेहनत से कुछ भी संभव है।

Vidushi Singh UPSC Inspiring Story: विदुषी सिंह की कहानी केवल UPSC परीक्षा पास करने की नहीं है, बल्कि यह एक परिवार के उस सपने की भी कहानी है, जो पीढ़ियों से संजोया गया था। अयोध्या, उत्तर प्रदेश की रहने वाली विदुषी का जन्म जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। उनके दादा-दादी का हमेशा से एक सपना था कि उनकी पोती एक दिन भारतीय विदेश सेवा (IFS) की अधिकारी बने और देश का नाम विदेशों में रोशन करे।

IAS की राह छोड़ IFS चुना

जब विदुषी ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 13वीं रैंक हासिल की, तो उनके पास IAS, IPS और IFS में से किसी भी सेवा को चुनने का अवसर था। परंतु, विदुषी ने IAS जैसे प्रतिष्ठित पद को छोड़कर IFS का चयन किया। इस फैसले के पीछे उनकी अपनी कोई पर्सनल वजह नहीं थी, बल्कि वह अपने दादा-दादी के सपने को पूरा करना चाहती थीं। एक इंटरव्यू में विदुषी ने कहा था कि, "मेरे दादा-दादी हमेशा चाहते थे कि मैं IFS अधिकारी बनूं। उनका मानना था कि विदेशों में जाकर देश का नाम ऊंचा करना सबसे बड़ी सेवा है। उनका यह सपना मेरे लिए एक मिशन बन गया,और आज मैं वही कर रही हूं, जो उन्होंने हमेशा चाहा था।"

दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से पूरा किया ग्रेजुएशन

विदुषी के इस सफर में उनके परिवार का पूरा समर्थन था। उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से की, जहां से उन्होंने BA ऑनर्स (अर्थशास्त्र) में ग्रेजुएशन किया। उनके परिवार ने उनके हर कदम पर उनका साथ दिया।

NCERT की किताबों से शुरू की यूपीएससी की तैयारी, पहले प्रयास में सफल

विदुषी ने बिना किसी कोचिंग के, पहले ही प्रयास में UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पास कर दिखाया। उन्होंने NCERT की किताबों से बेसिक तैयारी शुरू की और लगातार मॉक टेस्ट और टेस्ट सीरीज में हिस्सा लिया।

UPSC में 13वीं रैंक लाकर पूरा किया दादा-दादी का सपना

विदुषी ने UPSC 2022 में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 13 हासिल की। कुल 1039 अंक प्राप्त कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी खुशी यह थी कि वे अपने दादा-दादी के उस सपने को पूरा करने जा रही थीं, जिसे वे वर्षों से देख रहे थे। विदुषी के पास IAS की पदवी हासिल करने का सुनहरा मौका था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उनके लिए IFS चुनना केवल एक करियर का फैसला नहीं था, यह उनके परिवार की भावनाओं और उनकी जिम्मेदारियों का सम्मान था। उन्होंने कहा, "मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा मेरे दादा-दादी का सपना था। मैंने IFS को चुना क्योंकि मैं उनकी इच्छाओं को पूरा करना चाहती थी। IAS हो या IFS, मेरा उद्देश्य हमेशा देश की सेवा करना है।"

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