सार
मिशन दिव्यास्त्र की सफलता पर पीएम मोदी ने DRDO को बधाई दी। पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा है कि मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर हमें गर्व है। जानिए डीआरडीओ क्या है? डीआरडीओ में नौकरी कैसे मिलती है।
DRDO यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research & Development Organisation ) रक्षा मंत्रालय के अधीन एक एजेंसी है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। DRDO का गठन 1958 में किया गया था। DRDO भारत का सबसे बड़ा रिसर्च ऑर्गनाइजेशन है। इसमें एरोनॉटिक्स, आरमेमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, भूमि युद्ध इंजीनियरिंग, लाइफ साइंस, मटेरिअल, मिसाइल और नेवल सिस्टम जैसे विभिन्न क्षेत्रों को कवर करने वाली डिफेंस टेक्नोलॉजी को डेवलप करने में लगी लेबोरेटरीज का एक नेटवर्क है। डीआरडीओ ने विमान एवियोनिक्स, यूएवी, छोटे हथियार, तोपखाने सिस्टम, ईडब्ल्यू सिस्टम, टैंक और बख्तरबंद वाहन, सोनार सिस्टम, कमांड और कंट्रोल सिस्टम और मिसाइल सिस्टम जैसी प्रमुख प्रणालियों और महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी को डेवलप करने में कई सफलताएं हासिल की हैं। पीएम मोदी ने एक्स (पहले ट्विटर) के माध्यम से मिशन दिव्यास्त्र के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ वैज्ञानिकों की तारीफ की है। उन्होंने लिखा मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है। जानिए डीआरडीओ में कैसे शामिल हो सकते हैं।
DRDO ने डेवलप की थी भारत की पहली एंटी-सैटेलाइट सिस्टम
मार्च 2019 में DRDO ने भारत की पहली एंटी-सैटेलाइट सिस्टम डेवलप की जिसने भारत को अंतरिक्ष महाशक्तियों में से एक बना दिया। 2016 में इसने अपने पहले स्वदेशी रूप से विकसित हेवी-ड्यूटी ड्रोन, रुस्तम 2 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन की तर्ज पर विकसित एक मानव रहित सशस्त्र लड़ाकू वाहन है। डीआरडीओ ने भारत की पहली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो 2018 में चालू हो गई। डीआरडीओ ने अपने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत कई बैलिस्टिक मिसाइलें भी विकसित की हैं, जिनमें पृथ्वी, त्रिशूल, अग्नि, आकाश और नाग जैसी मिसाइलें शामिल हैं।
डीआरडीओ में नौकरी पाने के लिए क्वालिफिकेशन
DRDO में टफ साइंटिस्ट और इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं को संभव बनाने के लिए बड़ी संख्या में इंजीनियर, साइंटिस्ट और अन्य एक्सपर्ट काम करते हैं। डीआरडीओ में शामिल होने के लिए कैंडिडेट को (10+2) के दौरान पीसीएम (फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स) लेना जरूरी है। समय-समय पर अलग-अलग योग्यता के साथ डीआरडीओ विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकालता रहता है। जानिए डीआरडीओ में इंट्री पाने के लिए क्वालिफिकेशन क्या है।
- साइंटिस्ट 'बी' के लिए इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी में प्रथम श्रेणी या ग्रेजुएशन की डिग्री आवश्यक है।
- साइंटिस्ट 'सी' के लिए प्रथम श्रेणी या उच्च ग्रेड के साथ इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए, साथ ही अपने विषयों में तीन साल का अनुभव होना चाहिए।
- साइंटिस्ट डी के लिए प्रथम श्रेणी या उच्च ग्रेड के साथ इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए, साथ ही अपने क्षेत्र में 7 साल का प्रोफेशनल एक्सपीरिएंस होना चाहिए।
- साइंटिस्ट ई के लिए प्रथम श्रेणी या उच्च ग्रेड के साथ इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए, साथ ही अपने क्षेत्र में 10 साल का प्रोफेशनल एक्सपीरिएंस होना चाहिए।
- बीएससी ग्रेजुएशन भी असिस्टेंट टेक्निशियन पद के लिए आवेदन करने के पात्र हैं, जो केंद्र के कार्मिक प्रतिभा प्रबंधन विभाग (सेप्टम) द्वारा प्रस्तावित है।
- 12वीं कक्षा पूरी कर चुके छात्र शॉप असिस्टेंट के पद के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
- साइंस या इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने के बाद, GATE परीक्षा में शामिल कैंडिडेट के लिए भी डीआरडीओ में वैकेंसी निकाली जाती है।
डीआरडीओ में सैलरी
डीआरडीओ में नौकरी करने वालों में साइंटिस्ट, टेक्नीशियन, जूनियर टेक्नीशियन और यहां तक कि असिस्टेंट स्टाफ भी शामिल हैं। यहां शुरुआती वेतन 56,100 रुपये प्रति माह से शुरू होता है और हायर पोस्ट के लिए 2,25,000 रुपये प्रति माह तक जा सकता है। साथ ही एक्सपीरिएंस और पोस्ट के अनुसार सैलरी और भत्ते में व़द्धि होती है।
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