सार
भारत में कई ऐसे अरबपति हैं जो कठिनाइयों के बीच पैदा हुए लेकिन लगातार कड़ी मेहनत करते हुए उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया और वे फर्श से सीधे अर्श पर पहुंच गये। जानिए ऐसे ही एक अरबपति आरजी चंद्रमोगन की सफलता की कहानी।
हैटसन एग्रो प्रोडक्ट के अध्यक्ष 74 वर्षीय आरजी चंद्रमोगन की सक्सेस जर्नी बेहद प्रेरक है, जिन्होंने एक कॉलेज ड्रॉपआउट के रूप में पुशकार्ट पर आइसक्रीम बेचना शुरू किया और भारत के सबसे बड़ी निजी डेयरी कंपनियों के मालिक और अरबपति बिजनेस टाइकून बन गए। हालांकि आरजी चंद्रमोगन की अरबपति बनने की कहानी संघर्षों से भरी है। एक गरीब परिवार में जन्म से लेकर स्कूल में फेल होने तक उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे और मजबूरन बिजनेस में आये लेकिन इसी बिजनेस ने उन्हें अरबपति बना दिया। जानें
मैथ्स में हुए फेल लेकिन नंबर के मामले में लोगों की नजर में बने मानव-कंप्यूटर
चेन्नई स्थित बिजनेस टाइकून चंद्रमोगन को बिक्री के मामले में नंबर्स के उनके नॉलेज के लिए कुछ लोग उन्हें मानव-कंप्यूटर भी कहते हैं। हालांकि मैथ्स की परीक्षा में असफल होने के कारण उन्हें महज 21 साल की उम्र में शिक्षा छोड़कर बिजनेस की दुनिया में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
250 वर्ग फुट के कमरे में तीन श्रमिकों के साथ आइसक्रीम का बिजनेस शुरू किया
चंद्रमोगन के पिता एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे, चंद्रमोगन ने अपने करियर की शुरुआत 65 रुपये के वेतन पर एक लकड़ी डिपो में काम करके की। अगले साल 1970 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और 250 वर्ग फुट के कमरे में सिर्फ तीन श्रमिकों के साथ आइसक्रीम का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया।
13 हजार रुपये से शुरु किया बिजनेस
सिर्फ 13,000 रुपये का निवेश किया, जो पारिवारिक संपत्ति बेचने से आया था। उनकी आइसक्रीम 15 पुशकार्ट पर बिकती थी। उनकी कंपनी शुरुआती महीनों में संघर्ष कर रही थी लेकिन फिर पहले साल में ही 1.5 लाख रुपये से अधिक की कमाई की, जिससे चंद्रमोगन को आगे बढ़ने का मौका मिला।
शुरुआत में अरुण आइसक्रीम ब्रांड फिर नाम बदल कर किया हैटसन एग्रो प्रोडक्ट
1981 में अभी भी एक छोटे व्यवसाय के मालिक, चंद्रमोगन छोटे शहरों में आइसक्रीम की सेवा में अंतर को स्वीकार करने के बाद एक महत्वपूर्ण चरण पर पहुंच गए। बड़े ब्रांडों को पीछे छोड़ते हुए चंद्रमोगन ने अपने 'अरुण' आइसक्रीम ब्रांड को तमिलनाडु में एक मार्केट दिग्गज के रूप में स्थापित किया। 1986 में उन्होंने अपने ब्रांड का नाम बदलकर Hatsun Agro Product कर दिया।
प्रतिदिन 10,000 गांवों में 4 लाख से अधिक किसानों से दूध खरीदती हैं कंपनी
वर्तमान में Hatsun भारत की सबसे बड़ी निजी डेयरी कंपनियों में से एक है। प्रतिदिन 10,000 गांवों में 4 लाख से अधिक किसानों से दूध खरीदती है। मामूली शुरुआत से Hatsun Agro Product आज 20,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाता है। फोर्ब्स की अमीरों की सूची के अनुसार चंद्रमोगन की कुल संपत्ति 13,000 करोड़ रुपये ($1.7 बिलियन) से अधिक हो गई है। उनकी कंपनी के डेयरी उत्पाद 42 देशों में बेचे जाते हैं। जबकि चंद्रमोगन के बेटे सी सत्यन कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं।
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