सार
मथुरा-वृंदावन से लेकर द्वारिका तक श्रीकृष्ण के दरबार सज गए हैं। दक्षिण भारत के मंदिरों में भी उनके जन्मोत्सव की तैयारियां चल रही हैं। हर कोई पूजा-पाठ में जुटा है। ऐसे अवसर पर जानिए भगवान से जुड़े 10 सवाल और उनके जवाब..
करियर डेस्क : आज देशभर में जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) की धूम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन उनके जन्मोत्सव के रुप में मनाते हैं। कई लोग भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी कई बातें जानते हैं लेकिन कई ऐसे भी होते हैं, जो उनके जीवन के रहस्यों से अनजान होते हैं। जैसे आज कौन सा जन्मोत्सव मनाया जा रहा है? भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा-दीक्षा कहां से पूरी हुई? ऐसे लोगों के लिए हम जन्माष्टमी के मौके पर ला रहे हैं, कान्हा से जुड़े 10 सवाल और उनके जवाब, यहां पढें..
सवाल- आज श्रीकृष्ण का कौन सा जन्मोत्सव मनाया जा रहा है?
जवाब- 5249वां जन्मोत्सव
सवाल- कहां और कितने दिन में पूरी हुई थी श्रीकृष्ण की शिक्षा-दीक्षा?
जवाब- भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा-दीक्षा उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में हुई। उन्होंने महज 64 दिनों में ही गुरु सांदीपनि से सम्पूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी। 18 दिनों में 18 पुराण, 4 दिनों में 4 वेद, 6 दिनों में 6 शास्त्र, 16 दिनों में 16 कलाएं, 20 दिनों में गीता का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
सवाल- श्रीकृष्ण किस उम्र में शिक्षा ग्रहण करने सांदपनी ऋषि के आश्रम आए थे?
जवाब- धार्मिक ग्रंथों में जो उल्लेख मिलता है, उसके मुताबिक भगवान 11 साल 7 दिन की आयु में कंस का वध करने के बाद महाकाल की नगरी अवंतिका में आए थे।
सवाल- सांदीपनी ऋषि का आश्रम कहां स्थित है और यह कितना पुराना है?
जवाब- महर्षि संदीपनि आश्रम मध्यप्रदेश के उज्जैन, तब की अवंतिका में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार, यह आश्रम करीब 5 हजार 275 साल पुराना है।
सवाल- श्रीकृष्ण का जन्म किस दिन हुआ था? भगवान विष्णु ने अवतार लेने इस दिन को ही क्यों चुना?
जवाब- मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म बुधवार के दिन हुआ था। ये सप्ताह के बीच का दिन है। भाद्रपद मास भी हिंदी पंचांग के मध्य का महीना है। अष्टमी 15 तिथियों के बीच की स्थिति है। इस दिन चंद्र रोहिणी नक्षत्र में रहता है। श्रीकृष्ण का अवतार चंद्रवंश में हुआ था। चंद्र इस वंश के पिता भी माने जाते हैं। इसीलिए अवतार का यहीं दिन भगवान ने चुना।
सवाल- श्रीकृष्ण की कितनी रानियां थीं और ये कौन-कौन थीं?
जवाब- मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भौमासुर राक्षस को मार उसकी कैद से 16,100 रानियों को मुक्त कराया था। उन्होंने इन सभी से विवाह कर उनका मान बढ़ाया। भगवान की 8 मुख्य पटरानियां थीं। इस तरह उनकी कुल 16,108 पत्नियां थीं।
सवाल- कब और कैसे हुई थी भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु?
जवाब- पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया था कि यदि भगवान विष्णु के प्रति मेरी श्रद्धा और भक्ति सच्ची है तो आज से ठीक 36 साल बाद धरती पर तुम्हारा भी अंत हो जाएगा. द्वारका नगरी तबाह हो जाएगी और यदुवंश का समूल सहित नाश हो जाएगा। इसी श्राप के चलते भगवान श्रीकृष्ण का परलोक गमन हुआ था।
सवाल- कहते हैं कि यदुवंश के नाश का कारण भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांबा बने थे?
जवाब- पौराणिक कथा के अनुसार, गांधारी के श्राप के कई साल बाद श्रीकृष्ण के पुत्र सांबा गर्भवती स्त्री का वेष धारण कर ऋषि-मुनियों के पास गए। उन्हें इस अवस्था में देश ऋषि क्रोधित हो उठे। उन्होंने सांबा को श्राप दिया कि वो एक ऐसे लोहे के तीर को जन्म देगा, जिससे उसका कुल का नाश हो जाएगा। सांबा ने घबराकर इस घटना का जिक्र उग्रसेन से किया। सांबा को इस श्राप से बचाने उग्रसेन ने कहा कि वो एक तीर का चूर्ण बनाकर उसे प्रभास नदी में प्रवाहित कर दे। ऐसा कहा जाता है कि जहां इस चूर्ण को जमा किया गया था, वहां एक खास तरह की घास उग आई। यह एक एक नशीली घास थी और इसके बाद से ही द्वारका में कुछ अशुभ संकेत दिखने लगे थे।
सवाल- क्या इसी घास और ऋषि श्राप के कारण नष्ट हुई द्वारिका?
जवाब- इस घास के उगने के बाद द्वारिका में अपशगुन होने लगे। धरती पर पाप बढ़ने लगा। जब भगवान श्रीकृष्ण ने ये सब देखा तो उनसे देखा नहीं गया और वे उन्होंने द्वारका वासियों से प्रभास नदी के तट पर अपने पापों का प्रायश्चित करने को कहा। जब द्वारकावासी वहां पहुंचे तो उस नशीली घास का सेवन करने लगे। नशे में चूर द्वारिकावासी एक-दूसरे के प्राण लेने लगे और आपस में ही लड़कर यदुवंशी खत्म हो गए।
सवाल- क्या भगवान श्रीकृष्ण भी श्रीराम की तरह नदी के जल में समाधि ली या किसी और तरह से उनकी मृत्यु हुई?
जवाब- पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब यदुवंशी आपस में लड़कर खत्म हो गए तो इस घटना से दुखी श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे योग समाधि लगा रहे थे। तभी वहां, जरा नाम का एक शिकारी हिरण की तलाश में आया। उसने झाड़ियों में श्रीकृष्ण के हिलते पैरों को देखा तो उसे लगा कि वह हिरण है। उसने तीर चला दिया। वो तीर श्रीकृष्ण को लगा और जब जरा पास पहुंचा तो पछतावा करने लगा और क्षमा मांगने लगा। तब श्रीकृष्ण ने बताया कि उनकी मृत्यु निश्चित थी। इसी घटना से उनका बैकुंठ गमन हुआ।
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