सार
QS World University Rankings 2023 List: क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 की लिस्ट जारी कर दी गई है। इस बार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस-बेंगलुरु यानी IISc-Bengaluru ने आईआईटी को पीछे छोड़ दिया है। ग्लोबल रैंकिंग में IISc-Bengaluru 155वें स्थान पर है।
नई दिल्ली। QS World University Rankings 2023 List: क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 (QS World University Rankings) लिस्ट बुधवार देर रात जारी कर दी गई है। इसमें बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस यानी आईआईएससी (IISc-Bengaluru) का चयन भारत में सवश्रेष्ठ और दक्षिण एशिया में उभरते संस्थान के तौर पर हुआ है। इस लिस्ट में आईआईएससी-बेंगलुरु वर्ल्ड के टॉप एजुकेशन इंस्टीट्यूट में 155वें स्थान पर है। वहीं, भारत में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी-बॉम्बे (आईआईटी-बॉम्बे) को दूसरा, जबकि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी- दिल्ली (आईआईटी- दिल्ली) को तीसरा स्थान मिला है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस-बेंगलुरु पिछले साल ग्लोबल रैंकिंग में 186वें स्थान पर था। एक साल बाद वह 155वें नंबर पर है। यानी एक साल में इस संस्थान की रैंकिंग में 31 पायदान का उछाल देखने को मिला है। यही नहीं, इस सस्थान को रिसर्च में सौ प्रतिशत स्कोर किया गया है। हालांकि, आईआईटी-बॉम्बे और आईआईटी-दिल्ली ग्लोबल रैंकिंग-200 में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। लिस्ट में उनकी स्थिति में उछाल आया है।
7 नए यूनिवर्सिटी ने ग्लोबल रैंकिंग लिस्ट में जगह हासिल करने में सफलता पाई
बहरहाल, ग्लोबल रैंकिंग में इस साल 12 इंडियन यूनिवर्सिटी की हालत में सुधार हुआ है। वहीं, 12 अन्य की स्थिति पहले जैसी है। इसके अलावा, 10 यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में गिरावट भी दर्ज की गई है, जबकि सात नए यूनिवर्सिटी ने इस लिस्ट में अपनी जगह हासिल करने में सफलता पाई है। इस लिस्ट में अगर भारतीय संस्थानों की बात करें तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस-बेंगलुरु 31 पायदान की उछाल के साथ पहले नंबर पर है, जबकि आईआईटी-बॉम्बे पांच स्थान की चढ़ाई के साथ दूसरे और आईआईटी-दिल्ली ने 11 पायदान की उछाल के साथ तीसरे पर नंबर अपनी जगह बनाई है।
कई भारतीय संस्थानों का छात्र-शिक्षक अनुपात ठीक नहीं
हालांकि, यह पहली बार है, जब ग्लोबल रैंकिंग में आईआईटी की रैंकिंग सुधरी है। वहीं, इस साल अकादमिक रेपुटेशन स्टेटस में 41 इंडियन इंस्टीट्यूट्स को जगह मिली है। हालांकि, बहुत से ऐसे संस्थान हैं, जहां स्टूडेंट और टीचर का अनुपात सही नहीं है, जिससे ये संस्थान रैंकिंग में सुधार नहीं कर पा रहे हैं।
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