सार
स्टोरी टेलिंग की कई विधाएं हैं और इसे अलग-अलग तरीके से एक्सप्रेस किया जा सकता है। कभी कठपुतलियों के जरिए, तो कभी बॉडी पेंट्स के जरिए, कभी रेडियाे जॉकी कि जरिए तो कभी डांस के जरिए। हर विधा अपने आप में अहम है।
करियर डेस्क। हमारे मनोरंजन के सबसे पुराने रूपों में एक है कहानी सुनाना। जनजातीय व्यवस्था में दिनभर की कड़ी मेहनत के बाद देर शाम को आग के चारों ओर एकत्रित होना आम बात हुआ करती थी। तब लोग आपस में कहानियां और किस्से सुनाया करते थे। यह ज्ञान, समाचार-जानकारी और कई बार बेकार की गपशप को शेयर करने का अकेला तरीका हुआ करता था।
इसके बाद के वर्षों में यह किताब, रेडियो और टीवी से होते हुए डिजिटल मीडिया तक पहुंचा। कहानी कहने के अलग-अलग तरीके विकसित हुए। हालांकि, कहानी कहने का जादू बहुत कम लोगों में ही है। पॉडकास्ट के आने बाद यह अब डिमांडिंग फील्ड बनती जा रही है। अगर आप अच्छे स्किल के साथ इसमें महारत हासिल करते हैं तो आप खासे लोकप्रिय हो सकते हैं।
कुछ प्री-स्कूल पहले से इसका उपयोग कर रहे हैं। कॉरपोरेट्स भी अब इसे जानने-पहचानने लगे हैं। रेडियो और पॉडकास्ट के बाद आम लोग अब इससे जुड़ने लगे हैं। अगर कहें कि देश स्टोरी टेलिंग यानी कहानी कहने के एक नए युग की शुरुआत से जुड़ रहा है, तो गलत नहीं होगा। न केवल बीबीसी रेडियो, संडे सस्पेंस बल्कि, पाडकास्ट भी कहानी कहने के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे हैं। स्टोरी टेलिंग को बेहतर स्किल के साथ आगे बढ़ा सकते हैं। साथ ही इसमें उज्जवल करियर बना सकते हैं। आइए कुछ स्टोरी टेलर की जुबानी इस बारे में उनकी राय जानते-समझते हैं।
स्टोरी टेलिंग इन स्कूल यानी स्कूलों में कहानी सुनाना
कोई भी माता-पिता या प्री-नर्सरी और प्राइमरी स्कूल टीचर यह बात जान लेता है कि बच्चा जितना छोटा होता है, उसे उतने ही अच्छे तरीके से कहानी कहकर सम्मोहित किया जा सकता है। मुंबई में रहने वाली स्टोरी टेलर उषा वेंकटरमन ने 1996 में किंडरगार्टन स्कूल में कहानी सुनाना शुरू किया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनकी इस फील्ड में स्किल बढ़ती गई। बाद में वे वर्कशॉप आयोजित करने लगीं। भारतीय स्वतंत्रता के लिए 1857 में हुए विद्रोह पर मुंबई में कैथेड्रल और जॉन कार्नर स्कूल में एक नाटक पर उन्होंने काम किया और यह उनके लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके बाद उषा ने स्टोरी टेलिंग में फुल टाइम करियर डेवलप किया। तब से उषा वेंकटरमन देशभर में कई स्कूलों में नए अंदाज में कहानी सुनाने को लेकर वर्कशॉप आयोजित कर रही हैं। वे स्टोरी टेलिंग आर्ट पर टीचर्स को ट्रेनिंग भी देती हैं। साथ ही यह भी किसी सब्जेक्ट को खास अंदाज में दिलचस्प तरीके से कैसे पढ़ाया जा सकता है, जिससे वह चैप्टर स्टूडेंट और टीचर दोनों के लिए मजेदार साबित हो। 2019 में उन्होंने मुंबई के नेहरू विज्ञान केंद्र में चार से 14 साल के बच्चों के लिए भारत में पहली बार साइंस स्टेारी टेलर का आयोजन किया। अब वह फरवरी 2023 में मुंबई के सोमया विद्या विहार विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय गाथा मुंबई इंटरनेशनल स्टोरी टेलिंग फेस्टिवल की मेजबानी करने के लिए तैयार हैं।
अच्छी स्टोरी टेलिंग के लिए सब्जेक्ट को समझिए रटिए मत
वहीं, गुरुग्राम में वेदन्या इंटरनेशनल स्कूल की टीचर दिव्या भूटानी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि जब आप एक किताब उठाकर पढ़ने के बजाय उसे स्टोरी फॉर्म में सुना और बता रही होती हैं, तो इसका मतलब है कि आपको सब्जेक्ट की समझ अधिक है, बजाय इसके कि आपने उसे रटा है। दिव्या के अनुसार, कहानी सुनाना बच्चों को आकर्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह बहुत कम उम्र में जीवन के महत्वपूर्ण सबक अहसास कराता है। आज दुनिया में विचारों को प्रस्तुत करने का यह सबसे प्रभावी तरीका है।
स्टोरी टेलिंग स्किल कैसे डेवलप करें
अगर आप बेहतर तरीके से इस सब्जेक्ट को समझना चाहते हैं, तो सबसे पहले कंटेंट पर फोकस करें और उसे पूरी तरह रिसर्च करने तथा समझने पर फोकस करें। स्टोरी को बेहतर ढंग से बताने के लिए उसे समझें न कि रटें। आप जो भी पढ़ सकते हैं, उसे पढ़ते समय अलग-अलग और ज्यादा से ज्यादा नजरिये पर समझे। उसे पढ़ते रहें। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लेखक कौन है। यहां तक कि आप न्यूज भी पढ़ें तो उसे स्टोरी फॉर्म में बताने की कोशिश करें। इसके साथ ही आप अच्छे श्रोता भी बनें। अगर आप ऐसा कर लेते हैं तो आपका आधा काम आसान हो जाएगा। दरअसल, एक्सपर्ट्स की मानें तो कहानी कहना यानी स्टोरी टेलिंग ऐसी विधा है, जिसका उपयोग तमाम तरीकों से किया जा सकता है। इसमें कठपुतलियों के साथ हो या डांस के जरिए, बॉडी पेंट्स के जरिए, लाइट्स के जरिए, म्यूजिक के जरिए या कई और तरीको का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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