सार
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने केंद्रीय विश्वविद्यालय ( Central University) में पढ़ाने के लिए अब पीएचडी जरूरी नहीं होगी। यूजीसी पीएचडी की अनिवार्यता के नियमों में बदलाव कर सकता है।
करियर डेस्क. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने केंद्रीय विश्वविद्यालय ( Central University) में पढ़ाने के लिए अब पीएचडी जरूरी नहीं होगी। यूजीसी पीएचडी की अनिवार्यता के नियमों में बदलाव कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके लिए आयोग की ओर से प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस और असोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस जैसे विशेष पदों का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में अब विषय के विशेषज्ञ बिना पीएचडी की डिग्री के भी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ा सकेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यूजीसी के द्वारा कई अन्य पदों को को शुरू करने के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की भी योजना है। खास बात यह है कि इन पदों पर नियुक्ति के लिए पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी। जानकारी के अनुसार ये पद प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस व एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के हो सकते हैं।
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इस मामले पर यूजीसी के चेयरपर्सन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार का कहना है कि ऐसे कई विशेषज्ञ हैं जो पढ़ाने के इच्छुक हैं। ऐसे कई लोग हो सकता हैं जिनके पास जमीनी स्तर पर कार्य का अधिक अनुभव हो, कोई बहुत बड़ा डांसर हो सकता है तो कोई अच्छा गायक हो सकता है। लेकिन हम वर्तमान नियमों के तहत इन सब की नियुक्ति नहीं कर सकते। जिनके लिए पीएचडी डिग्री की जरूरत नहीं होगी. इस नियुक्ति के लिए एक्सपर्ट्स को सिर्फ अपना अनुभव दिखाना होगा।’
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केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए भर्ती मानदंडों में सुधार के उद्देश्य से सरकार यह कदम उठा रही है। इसके मुताबिक, इस फील्ड के प्रोफेशनल्स और इंड्रस्टी एक्सपर्ट की नियुक्ति के लिए 'प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' के रूप में नियुक्ति के लिए एक प्रावधान लाने पर विचार कर रही है।