सार
सात साल पहले शुरू की गई इस पहल से अब गांव का नाम आर्चरी के क्षेत्र में देश मे अपना अलग स्थान रखने लगा है। इतवारी सिंह ने अपने गांव के बेरोजगार युवाओं को खेल से जोड़ने के लिए अपने वेतन से इस खेल की शुरुआत की।
रायपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर बसे शिवतराई गांव को पहचान दुनियाभर में हो गई है। ये अक आदिवासी बहुल्य गां है। यहां एक पुलिसकर्मी की मेहनत से गांव की युवाओं को तीरंदाज बना दिया है। पुलिस कांस्टेबल ने अपनी मेहनत से इस गांव को चैम्पियन का गांव बना दिया है। हेड कांस्टेबल इतवारी सिंह ने 15 सालों से इस गांव के लड़के लड़कियों को तीरंदाजी सीखा रहे हैं। इनकी कहानी अब छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में फैल गई है। इनके सिखाए युवा अब तक देश और विदेश में करीब 200 मेडल जीत चुके हैं।
इंटरनेशनल भी खेल चुके हैं युवा
इतवारी सिंह के ट्रेनिंग कराए युवा नेशनल के साथ-साथ इंटरनेशन भी खेल चुके हैं। इतवारी सिंह की इस पहल पर सरकार का भी साथ मिला है। सरकार ने इस गांव में एक तीरंदाजी सेंटर भी बना दिया है। इस ट्रेनिंग सेंटर में कई प्रकार की सुविधाएं हैं। इस ट्रेनिंग सेंटर के खुलने के बाद इतवारी सिंह ने कड़ी मेहनत की जिसके बाद इस ट्रेनिंग सेंटर से कई बेहतरीन प्लेयर निकले। जिन खिलाड़ियों ने मेडल जीते हैं उन खिलाड़ियों को इतवारी सिंह ने ट्रेनिंग दी थी।
कैसे हुई शुरुआत
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के इस गांव में इतवारी सिंह ने 4 बच्चों के साथ ट्रेनिंग शुरू की थी। दरअसल, इतवारी सिंह पहले तीर धुनष से शिकार करते थे। लेकिन बाद में उन्होंने शिकार करना छोड़ दिया। इसके साथ-साथ ही इस गांव के लोगों में भी तीर-धनुष के प्रति लोगों का लगाव कम होने लगे। इस देखते हुए इतवारी सिंह ने बच्चों को गांव की परम्परा को फिर से जोड़ने के लिए एक नई पहल शुरू की। सबसे पहले उन्होंने अपनी पेमेंट से ही 4 बच्चों को तीरंदाजी सीखने की प्रैक्टिस शुरू की। धीरे-धीरे इस गांव के हर युवा का लगाव तीरंदाजी के लिए बढ़ने लगा।
गांव की आबादी डेढ़ हजार
धीर-धीरे इस महंगे खेल के प्रति गांव का युवक-युवतियों का भी रुझान बढ़ने लगा। इस गांव की आबादी करीब डेढ़ हजार है। अब गांव के हर घर से एक युवा आर्चरी बनने की प्रैक्टिस कर रहा है। यहां सरकारी ट्रेनिंग सेंटर खुलने के बाद से युवाओं का उत्साह औऱ बढ़ गया है। 8 साल से 20 साल तक के युवक और युवतियां इस खेल को लेकर अपना उत्साह दिखा रहे हैं।
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