सार
दुनिया कोरोना की मार को झेल रहा है और इसके खिलाफ लड़ने के लिए सरकारें तमाम कोशिशें कर रही हैं। ऐसे में ब्रिटिश की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका पीएलसी ने कोरोनो वायरस के खिलाफ अपने संभावित टीके की आपूर्ति करने के लिए यूरोपीय सरकारों के साथ एक बॉन्ड पर साइन किया है।
रोम. दुनिया कोरोना की मार को झेल रहा है और इसके खिलाफ लड़ने के लिए सरकारें तमाम कोशिशें कर रही हैं। ऐसे में ब्रिटिश की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका पीएलसी ने कोरोनो वायरस के खिलाफ अपने संभावित टीके की आपूर्ति करने के लिए यूरोपीय सरकारों के साथ एक बॉन्ड पर साइन किया है। ये समझौता वैक्सीन की 40 करोड़ डोज के लिए किया गया है। इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड तैयार कर रही है। इसे लेकर कंपनी का कहना है कि वो वैक्सीन उत्पादन का विस्तार करने पर विचार कर रही है। उसका कहना है कि महामारी के दौरान वह इसे बिना किसी तरह के लाभ कमाए उपलब्ध कराएगी। इसकी आपूर्ति इस साल के आखिर में शुरू होने की संभावना है।
आईवीए द्वारा हस्ताक्षरित किया गया है पहला समझौता
यूरोप के इंक्लूसिव वैक्सीन अलायंस (IVA) द्वारा हस्ताक्षरित यह पहला समझौता है। फ्रांस, जर्मनी, इटली और नीदरलैंड द्वारा गठित इस समूह का मकसद सभी सदस्य देशों के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराना है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पास्कल सोरियट ने मीडिया से कहा कि यह सुनिश्चित करेगा कि यूरोप में लाखों लोगों के पास इस वैक्सीन की पहुंच होगी, अगर यह काम करता है तो ये गर्मी के अंत तक पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर काम करेगा।
सभी देशों के साथ मिलकर काम करेगा यूरोपीय कमीशन
पास्कल ने कहा कि यूरोप में यूरोपीय कमीशन और यूरोप के अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरे यूरोप में वैक्सीन की आपूर्ति हो। उन्होंने कहा कि हमारे पास यूरोप के लिए अपनी आपूर्ति श्रृंखला है, जिसमें नीदरलैंड, जर्मनी, इटली और इटली के निर्माता शामिल हैं।
टीके सभी यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों के लिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस समझौते पर सहमति व्यक्त करने वाले चार देश कुल राशि का भुगतान करेंगे, जिसका खुलासा नहीं किया गया है और यह योजना अन्य देशों को उन्हीं शर्तों के तहत इसमें शामिल होने की अनुमति देती है। उन्होंने कहा कि चीन, ब्राजील, जापान और रूस ने भी अपनी रुचि दिखाई है।