सार
एशिया कप (Asia Cup) का खिताब 8वीं बार जीतने का दावा करके दुबई (Dubai) पहुंची टीम टूर्नामेंट से लगभग बाहर हो गई है। आज के मैच में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान (Pak vs Afg) को हरा दिया तो भारत का रिटर्न टिकट पक्का हो जाएगा।
Team India Flop Show Asia Cup. एशिया कप के सुपर-4 मुकाबले में लगातार 2 हार के बाद टीम इंडिया की वापसी तय मानी जा रही है। श्रीलंका के खिलाफ तो भारतीय खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज बता रही थी कि टीम यहां जीतने के इरादे से नहीं बल्कि बस खेलने के पहुंची है। आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। पहले श्रीलंकाई गेंदबाजों ने भारतीय बैट्समैन को डराया फिर उनके बल्लेबाजों ने सभी इंडियन बॉलर्स को दिन में तारे दिखा दिए। आखिर टीम इंडिया के इस खराब प्रदर्शन का कारण क्या है?
टॉप ऑर्डर का फेल होना
भारतीय टीम ने हाल ही में जिम्बाबवे का दौरा किया था। तब पूरी टीम ही लगभग अलग थी। वहां बल्बेबाजों और गेंदबाजों ने उम्दा प्रदर्शन किया लेकिन उस दौरे पर भी फ्लॉप रहने वाले केएल राहुल के अलावा किसी को भी एशिया कप में नहीं लिया गया। केएल राहुल एशिया कप में भी बुरी तरह से फ्लॉप रहे और 4 मैचों में विकेट बचाते ही नजर आए। एक-दो मौकों को छोड़ दें तो विराट कोहली और रोहित शर्मा के अलावा भारतीय टॉप ऑर्डर कभी भी कंफर्टेबल पोजीशन में नहीं दिखा। टीम में बार-बार हो रहे प्रयोग भी हार का कारण बने।
कुंद रही तेज गेंदबाजी
टीम इंडिया की तेज गेंदबाजी पूरी तरह से टूर्नामेंट में कुंद नजर आई। पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच छोड़ दें तो कोई भी तेज गेंदबाज विकेट लेता नजर नहीं आया। उस पर से अंतिम ओवर्स में वाइड गेंद डालकर भारतीय तेज गेंदबाजों ने भारत की लुटिया ही डूबो दी। भुवनेश्वर कुमार सुपर-4 के दोनों मैच में विलेन की तरह नजर आए। पाकिस्तान के खिलाफ 19वें ओवर में 19 रन देने वाले भुवी श्रीलंका के खिलाफ भी 19वां ओवर ही फेंकने और 13 रन दे डाले। जबकि जीत के लिए 21 रन की दरकार थी। भारतीय तेज गेंदबाजों के अलावा बार-बार बदले गए स्पिनर्स भी छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हुए।
11 महीने में 28 खिलाड़ी बदले
राहुल द्रविड़ की देखरेख में टीम इंडिया में इतने बदलाव हुए हैं कि अब तो हर खिलाड़ी यह सोचकर दुखी है कि उसे अगले मैच में खेलने को मिलेगा या नहीं। विश्व कप की तैयारी के नाम पर भारतीय टीम में 28 खिलाड़ियों को आजमाया गया है। अब विश्व कप में ये खेलेंगे या कोई नई टीम ही तैयार होगी यह तो कोच और कप्तान ही बता पाएंगे। लेकिन इतना तय है कि 11 महीने में 28 खिलाड़ी आजमाने वाली टीम कभी स्थायी प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर सकती है। एशिया कप के 4 मैचों में ही कई खिलाड़ी बदले गए और कोई भी मौके पर खरा नहीं उतरा।
खिलाड़ी से ज्यादा कप्तानों वाली टीम
टीम इंडिया का प्रयोग सिर्फ खिलाड़ियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि 1 साल में 8 कप्तान भी आजमाए गए हैं। मौजूदा टीम में रोहित शर्मा कप्तान हैं। पूर्व कप्तान विराट कोहली हैं। साथ ही टीम के लिए कप्तानी कर चुके केएल राहुल, हार्दिक पांड्या और ऋषभ पंत भी टीम में शामिल हैं। मतलब 11 में 4-5 तो कप्तान ही हैं तो भला वे खिलाड़ी की तरह कैसे खेल पाएंगे। इसका श्रीलंका के खिलाफ देखने को मिला। केएल राहुल एलबीडब्ल्यू आउट हुए तो कैप्टन की तरह रिव्यू मांगने लगे। दूसरे छोर पर रोहित शर्मा ने संभवतः मना भी किया लेकिन कप्तान तो कप्तान होता है। वे भला क्यों मानते। रिव्यू लिया गया और भारत को नुकसान हुआ। विकेट भी गया और एक रिव्यू भी बेकार गया।
अंतिम एकादश पर रहा सस्पेंश
एशिया कप में खेल रही ज्यादातर टीमों के अंतिम 11 खिलाड़ी लगभग तय होते थे लेकिन टीम इंडिया के साथ ऐसा नहीं था। भारतीय टीम 3 फुल टाइम गेंदबाजों के साथ दुबई गई और हार्दिक पांड्या को चौथा तेज गेंदबाज माना गया। आवेश खान के बीमार होने के बाद टीम का बैलेंस गड़बड़ हो गया और तीसरे तेज गेंदबाज के तौर पर पांड्या पूरी तरह से फ्लॉप रहे। यही कारण था कि भारतीय तेज गेंदबाजी में किसी भी मैच में धार नहीं दिखी।
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