सार
ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर मोइसेस हेंरीक्वेस ने लॉकडाउन के बीच अपने डिप्रेशन पर खुलकर बात की है। उन्होंने बताया कि 2017 में उनके साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था और शेफील्ड शील्ड के एक मैच के दौरान उन्होंने सुसाइड करने की बारे में भी सोचा था।
नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर मोइसेस हेंरीक्वेस ने लॉकडाउन के बीच अपने डिप्रेशन पर खुलकर बात की है। उन्होंने बताया कि 2017 में उनके साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था और शेफील्ड शील्ड के एक मैच के दौरान उन्होंने सुसाइड करने की बारे में भी सोचा था। हालांकि ऐसा करने से पहले उन्हें अपने दोस्तों और पत्नी की याद आ गई और उन्होंने सुसाइड नहीं किया। हेंरीक्वेस से पहले भी कई खिलाड़ी इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं। साल 2019 में उनके साथी खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल ने भी डिप्रेशन के चलते कुछ समय के लिए क्रिकेट से ब्रेक लिया था। इसके बाद से ही क्रिकेट जगत में यह बीमारी खासी चर्चा में रही है।
हेंरीक्वेस ने एक पॉडकास्ट के दौरान इन बातों का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि अगर आप गूगल में ड्रिपेशन के लक्षण पता करेंगे तो इस बीमारी के सभी लक्षण उनके अंदर थे। उन्होंने 4 हफ्ते के अंदर 10 किलो वजन भी खो दिया था। 98 किलो वजन वाले हेंरीक्वेस महज 4 सप्ताह में 88 किलो के हो गए थे।
20 रन पर आउट होने के बाद सुसाइड करना चाहते थे हेंरीक्वेस
ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ने बताया कि 2017 में शेफील्ड कप में तस्मानिया के खिलाफ उन्होंने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। उनका मानना था कि पिच पर काफी घास है और इससे तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी, पर ऐसा नहीं हुआ और पहले दिन का खेल खत्म होने तक तस्मानिया ने 2 विकेट गंवाकर 290 रन बना लिए थे। अगले दिन 450 रनों पर विरोधी कप्तान ने अपनी पारी घोषित की। हेंरीक्वेस की टीम का कोई भी बल्लेबाज लंबी पारी नहीं खेल सका और दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक उनकी टीम 90 रन पर 5 विकेट गंवा चुकी थी। वो खुद 20 रन बनाकर आउट हो गए थे। इसके बाद उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। वो 110km/h की स्पीड से गाड़ी चला रहे थे। हेंरीक्वेस का मन था कि वो पोल में गाड़ी टकराकर सुसाइड कर लें।
पत्नी और दोस्तों को याद कर बदला फैसला
हेंरीक्वेस ने आगे बताया कि वो कार चलाते हुए रो रहे थे। उनके आंसू गालों से नीचे बह रहे थे। तभी उन्होंने सोचा की आत्महत्या के बाद क्या होगा। उन्हें अपने दोस्तों, भाइयों और जीवनसाथी की याद आई। उन्हें महसूस हुआ कि खेल के तीसरे दिन के लिए वो अपनी टीम को 10 खिलाड़ियों के साथ नहीं छोड़ सकते और इस खिलाड़ी ने अपना फैसला बदल लिया।