सार

दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और यह सातवां चुनाव होने जा रहा है जबकि दिल्ली में छह बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं
 

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और यह सातवां चुनाव होने जा रहा है। जबकि दिल्ली में छह बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। और ऐसे में दिल्ली की एक सीट ऐसी है,जिसने पांच बार राजधानी को सीएम दिया है। यह सीट राजधानी की नई दिल्ली विधानसभा सीट है, जहां शीला दीक्षित से लेकर अरविंद केजरीवाल की सियासी कर्मभूमि बनी हुई है।

प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल नई दिल्ली सीट पर हमेशा से दिलचस्प मुकाबले होते रहे हैं। यह सीट पिछले पांच बार से दिल्ली को मुख्यमंत्री देती रही है। इसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित तीन बार लगातार मुख्यमंत्री रही थीं, वहीं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार दो बार यहां से जीतकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज रहे। पिछले पांच विधानसभा चुनावों से बीजेपी इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चख सकी है। हालांकि, दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव में पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद यहां से बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर जीतकर विधायक चुने गए थे, जो अब कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं।

लुटियंस जोन का यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण 

विधानसभा के गठन के बाद से ही लुटियंस जोन का यह क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण व चर्चित रहा है। साल 2008 के परिसीमन से पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम गोल मार्केट था। साल 1993 में दिल्ली में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने क्रिकेट से राजनेता बने कीर्ति आजाद को यहां से चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बनाया था। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार बृजमोहन को पराजित किया था। इसके बाद से ही बीजेपी को यहां से एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई है।

1998 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया। उन्होंने न केवल बीजेपी के कीर्ति आजाद को शिकस्त दी, बल्कि मुख्यमंत्री बनकर सूबे की राजनीति में 15 सालों तक अपना वर्चस्व कायम रखा..1998 के बाद से बीजेपी इस सीट पर अपना प्रत्याशी बदलती रही, लेकिन जीत से हमेंशा महरूम रही है।

केजरीवाल ने शीला दीक्षित को किया था पराजित 

2003 के विधानसभा चुनाव में गोल मार्केट (नई दिल्ली) से बीजेपी ने कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें भी शीला दीक्षित के सामने हार का सामना करना पड़ा था। परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का नाम नई दिल्ली कर दिया गया, जिसके बाद साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शीला के खिलाफ विजय जौली को चुनावी दंगल में उतारा, लेकिन वो भी यहां से जीत नहीं सके। शीला दीक्षित चुनाव जीतकर तीसरी बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं।

नई दिल्ली सीट पर सबसे दिलचस्प मुकाबला साल 2013 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था। अन्ना आंदोलन के बाद बनी आम आदमी पार्टी  के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया था। केजरीवाल ने शीला दीक्षित को 25,864 मतों से पराजित कर कांग्रेस को तिलिस्म को तोड़ दिया था। इसके बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे।

दूसरी बार भी केजरीवाल ने जीती सीट

पिछले विधानसभा चुनाव यानी  2015 में इस सीट से एक बार फिर अरविंद  केजरीवाल ने चुनाव लड़ा था। उनके सामने कांग्रेस ने इस बार पूर्व मंत्री प्रो. किरण वालिया को चुनाव मैदान में उतार तो बीजेपी ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष नूपुर शर्मा को प्रत्याशी बनाया था। इस बार भी बाजी केजरीवाल के हाथ लगी थी। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी नूपुर शर्मा को करीब 31 हजार से भी अधिक मतों से मात दिया था। केजरीवाल नई दिल्ली से सीट से जीतकर दूसरी बार सीएम बनने में कामयाब रहे थे।