प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह को बीजेपी ने सरोजनी नगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। राजेश्वर सिंह ने कहा कि वह माफिया के खिलाफ काम करेंगे। 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार की देर शाम 17 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी किया। इनमें एक नाम ईडी के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) का भी है। पार्टी ने उन्हें सरोजनी नगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। बीजेपी से टिकट मिलने के बाद राजेश्वर सिंह ने कहा कि वह माफिया के खिलाफ काम करेंगे। 

राजेश्वर सिंह ने कहा कि वह भाजपा की विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा, "पार्टी की विचारधारा देश का भविष्य है। सीएम योगी आदित्यनाथ 'माफियाओं' के खिलाफ बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। हमें उनका समर्थन करने की जरूरत है। बढ़ती सांप्रदायिकता को नियंत्रित करने की जरूरत है।" प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व संयुक्त निदेशक और भारतीय जनता पार्टी के नेता राजेश्वर सिंह ने कहा कि वह शासन में सुधार करेंगे और माफियाओं के खिलाफ अपना काम जारी रखेंगे।

एक दिन पहले मंजूर हुआ था VRS 
भारत सरकार की सेवा से इस्तीफा मंजूर होने के ठीक एक दिन बाद राजेश्वर सिंह को भाजपा का टिकट मिल गया। इस पर विपक्षी पार्टियों के नेता सवाल उठा रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने कहा कि राजनीतिक संरक्षण का कोई सवाल ही नहीं है। भाजपा एक बड़ी पार्टी है। यहां टिकट योग्यता के आधार पर दिए जाते हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस में सेवा दे चुके राजेश्वर सिंह ने सोमवार को घोषणा की कि भारत सरकार की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के उनके अनुरोध को मंजूरी दे दी गई है।

वीआरएस की घोषणा करते हुए अपने पत्र में उन्होंने उल्लेख किया था कि ईडी में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय प्रभाव और सार्वजनिक महत्व के कई घोटालों का खुलासा किया और उनकी जांच की। इनमें 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदा, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोकिया पोंजी घोटाला और गोमती रिवरफ्रंट घोटाला शामिल हैं। इन मामलों में कई सफेदपोश अपराधियों को जेल भेजा गया था। 

इस बीच, कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने राजेश्वर सिंह का नाम लिए बिना ट्विटर पर परोक्ष हमला किया। उन्होंने ट्वीट किया कि ईडी से बीजेपी में शामिल होने के लिए वीआरएस लेना पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी से मूल कंपनी में जाने जैसा है।

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