सार

फिल्मों में विलेन का रोल निभाने वाले अजीत की असल जिंदगी भी काफी दिलचस्प थी। सीमेंट के पाइप में रहने से लेकर गुंडों से पंगा लेने तक, जानिए उनके संघर्ष और बॉलीवुड में राज करने की कहानी।

एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉलीवुड फिल्मों में यूं तो कई खलनायकों ने अपनी अदायगी का जलवा दिखाया और लोगों के दिलों में जगह बनाई। इन्हीं सब में एक विलेन ऐसा रहा जिसने न सिर्फ स्क्रीन पर बल्कि असल जिंदगी में भी जमकर गुंडागर्दी दिखाई। यही वो विलेन है आज भी इंडस्ट्री में लॉयन के नाम से याद किया जाता है। हम यहां बात कर रहे हैं हामिद अली खान यानी अजीत की। 70-80 के दशक में अजीत बॉलीवुड की हर दूसरी फिल्म में बतौर विलेन नजर आए। वैसे, कम ही लोग जानते हैं कि अजीत घरवालों के खिलाफ गए और भागकर मुंबई हीरो बनने आए थे। उन्होंने अपनी किताबें बेचकर खर्चा चलाया था। अजीत हीरो तो नहीं बन सके लेकिन विलेन बन उन्होंने बॉलीवुड पर राज किया।

मुस्लिम से रखा हिंदू नाम

अजीत का असली नाम हामिद अली खान था। उन्होंने एक्टिंग में किस्मत आजमाने अपना नाम अजीत रखा था। उनका परिवार पश्तूनों के बरोजाई कबीले से था। अजीत के पूर्वज हैदराबाद में बसने से पहले अफगानिस्तान के कंधार से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर आ गए थे। उनके पिता हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान के पर्सनल ड्राइवर थे। अजीत को शुरू से फिल्मों में काम करने का चस्का था। वे किसी भी कीमत पर सिर्फ और सिर्फ एक्टिंग में अपना नाम कमाना चाहते थे। उनके घरवालें नहीं चाहते थे कि वे फिल्मों में काम करें। अजीत एक दिन घर से भागकर मुंबई आ गए। फिर शुरू हुआ उनके संघर्ष का दौर।

रियल लाइफ में की गुंडागर्दी

अजीत जब मुंबई आए तो उनके पास रहने के लिए जगह नहीं थी। वे यहां सीमेंट के पाइप में रहने लगे। जिस एरिया में वे रहते थे वहां के लोकल गुंडे सीमेंट के पाइप में रहने वालों से जबरदस्ती पैसा वसूल करते थे। एक दिन अजीत के साथ गुंडों की बहसबाजी हो गई। गुंडे उनसे पैसा वसूलने चाहते थे और डराने-धमकाने लगे। फिर क्या था अजीत ने भी बिना कुछ सोचे उन गुंडों की जमकर पिटाई की और भगा दिया। अजीत का ये रूप देखकर वहां रहने वाले दंग रह गए और उन्हें अपना हीरो समझने लगे।

फिल्मों में रोल पाने अजीत का संघर्ष

अजीत को फिल्मों में रोल पाने के लिए खूब संघर्ष करना पड़ा। उन्हें शुरुआत में छोटे-छोटे रोल मिले। फिर उनकी किस्मत चमकी और उन्हें 1950 में फिल्म बेकसूर में लीड रोल मिला। इस फिल्म के डायरेक्टर की सलाह पर उन्होंने अपना नाम हामिद अली खान से अजीत रखा था। इसके बाद उन्हें कुछ और फिल्मों में हीरो का रोल मिला, लेकिन उनकी कोई भी फिल्म हिट नहीं हो पाई। फिर उन्हें हीरो की जगह साइड रोल मिलने लगे।

ऐसे विलेन बने अजीत

1966 में राजेंद्र कुमार की फिल्म सूरज आई थी। राजेंद्र कुमार की सलाह पर इस फिल्म में अजीत विलेन बने थे। फिल्म ब्लॉकबस्टर रही और अजीत की गाड़ी चल पड़ी। 1973 में आई फिल्म जंजीर और यादों की बारात में विलेन का रोल कर अजीत इंडस्ट्री पर छा गए। उनकी एक्टिंग, स्टाइल और डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें देश-दुनिया में फेमस कर दिया। अजीत की पॉपुलैरिटी इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि वे हीरो पर भारी पड़ने लगे थे।

3 पत्नी और 5 बेटों के पिता थे अजीत

अजीत ने अपनी लाइफ में 3 शादियां की थी। तीनों शादियों से उनके 5 बेटे थे। उनके एक बेटे शहजाद खान ने फिल्मों में किस्मत आजमाई, लेकिन पिता की तरह नाम नहीं कमा पाए। अजीत का 22 अक्टूबर 1998 को दिल का दौरा पड़ने निधन हो गया था।

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