सार
फिल्म डायरेक्टर इकबाल दुर्रानी ने सामवेद का उर्दू में अनुवाद किया है। संस्कृत भाषा में दुनिया के सबसे पुराने ग्रंथों में से एक सामवेद का उर्दू अनुवाद करते समय दुर्रानी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें 6 साल तक कोई काम नहीं मिला।
मुंबई। जाने-माने फिल्म डायरेक्टर इकबाल दुर्रानी ने सामवेद का उर्दू में अनुवाद किया है। संस्कृत भाषा में दुनिया के सबसे पुराने ग्रंथों में से एक सामवेद का उर्दू अनुवाद करने वाले दुर्रानी का कहना है कि इस किताब को हर एक शख्स को पढ़ना चाहिए। दुर्रानी ने इसे इश्क का तराना (Anthem of Love) बताते हुए ये भी कहा कि इस किताब को मदरसों में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि मुस्लिम बच्चे ये जान सकें कि सही-गलत क्या है। बता दें कि इस किताब का विमोचन RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बीते शुक्रवार को दिल्ली में किया।
जब लोग बोले- ये तो भगवान का काम करने लगा..
किताब लिखने के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में बताते हुए दुर्रानी ने कहा- मैंने जब यह किताब अनुवाद करना शुरू की तो फिल्म वालों ने कहा- अब तो ये भगवान का काम करने लगा। इसके बाद मुझे काम मिलना ही बंद हो गया। 6 साल तक मैं बिना काम के रहा। मेरी इनकम का कोई जरिया नहीं था। लेकिन बावजूद इसके मैंने किसी तरह गुजारा किया और अपने परिवार को मुंबई में रखा।
पैसा जिंदगी के लिए जरूरी, लेकिन सामवेद जिंदगी से इतर :
मैं चाहता तो इन 6 सालों में करोड़ों रुपए कमा सकता था, लेकिन मेरे लिए यह त्याग करना बेहद मुश्किल था। मैं ये बात जान चुका था कि पैसा जिंदगी के लिए जरूरी है, लेकिन सामवेद जिंदगी से इतर है। अगर मैं इस पर कुछ काम करता हूं तो जिंदगी भर के लिए इससे जुड़ सकूंगा।
किताब के लिए लेना पड़ा फिल्मों से ब्रेक..
इकबाल दुर्रानी ने कहा कि किताब लिखने के लिए उन्हें फिल्मों के अपने काम से ब्रेक लेना पड़ा क्योंकि एक साथ दो चीजों को वक्त दे पाना काफी मुश्किल था। दुर्रानी के मुताबिक, इसके अनुवाद में एक और बड़ी दिक्कत ये थी कि मैं फिजिक्स का स्टूडेंट था और साथ ही मुसलमान। इस वजह से कई चीजें मेरे अनुवाद में अड़चनें पैदा कर रही थीं। फाइनली, मैंने किताब के लिए फिल्मों को छोड़ना या कुछ साल के लिए ब्रेक लेना ही ठीक समझा।
दारा-शिकोह के सपने को पूरा कर रहा हूं :
इकबाल दुर्रानी के मुताबिक, जब मुगलिया सल्तनत के 400 साल पूरे हो गए तो दारा शिकोह जो 1620 के करीब पैदा हुए, उन्होंने उपनिषदों का अनुवाद कराया। इतना ही नहीं, दारा शिकोह तो वेदों का भी अनुवाद कराना चाहते थे लेकिन औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या करवा दी। ऐसे में दारा-शिकोह का जो सपना अधूरा रह गया था, उसे अब मैं पूरा कर रहा हूं। इकबाल दुर्रानी ने आगे कहा- अब पीएम मोदी के शासन में मैंने दारा-शिकोह के सपने को पूरा किया है। औरंगज़ेब हार गया और मोदी जीत गए।
मदरसों में पढ़ाई जानी चाहिए :
मदरसों के पाठ्यक्रम में इस किताब को शामिल करने की वकालत करते हुए दुर्रानी ने कहा- इसे मदरसों में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि बच्चे जान सकें कि क्या सही है और क्या गलत है। इसमें एक आम बच्चे को सही तरीके से समझाने के लिए पर्याप्त उदाहरण मौजूद हैं।
जल्द लॉन्च होगा डिजिटल वर्जन :
इकबाल दुर्रानी जल्द ही इसका डिजिटल वर्जन भी लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं और इसे यूट्यूब पर अपलोड किया जाएगा। सामवेद को स्मार्टफोन और लैपटॉप के माध्यम से सभी के लिए सुलभ तरीके से घर-घर तक पहुंचाने की प्लानिंग है।
इन फिल्मों को डायरेक्ट कर चुके दुर्रानी :
बिहार के रहने वाले इकबाल दुर्रानी ने मजबूर, सौगंध, मुकद्दर का बादशाह, बेनाम बादशाह, आतंक ही आतंक, 'हम तुम दुश्मन दुश्मन', गांधी से पहले गांधी, हिंदुस्तान, दुकान, मिट्टी, बेताज बादशाह, खुद्दार, परदेसी, धरतीपुत्र, नया जहर, मिट्टी, कोहराम जैसी फिल्मों को डायरेक्ट किया है।
कंटेंट सोर्स : AWAZ The Voice
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