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25 कमरों का बंगला और करोड़ों की प्रॉपर्टी वाले भगवान दादा 1 गलती से हुए थे कंगाल, ऐसे गुजरे आखिरी दिन
एंटरटेनमेंट डेस्क. अपनी डांसिंग स्टाइल के लिए फेमस भगवान दादा (Bhagwan Dada) की 1 अगस्त को 110वीं बर्थ एनिवर्सरी है। अमरावती, महाराष्ट्र में पैदा हुए भगवान दादा का असली नाम भगवान अभाजी पलव था। हालांकि, फिल्मों के लिए उन्होंने नाम चेंज कर लिया था।
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भगवान दादा की जिंदगी की कहानी
बॉलीवुड में ऐसे कई सुपरस्टार्स रहे है कि जिनका आखिरी वक्त काफी गरीबी और लाचारी में बीता। इन्हीं में एक थे 1940-50 के दशक के एक्टर भगवान दादा। इनका आखिरी वक्त चॉल में गुजरा।
देश के सबसे अमीर एक्टर्स में से एक थे भगवान दादा
40-50 के दशक में भगवान दादा की गिनती देश के सबसे अमीर स्टार्स में होती थी। आपको बता दें कि भगवान दादा ने एक मिल मजदूर से बॉलीवुड एक्टर तक का सफर तय किया था।
अपने डांस मूव्स से स्टार बने भगवान दादा
भगवान दादा के पिता मुंबई की एक्सटाइल मिल में काम करते थे और वे खुद भी मजदूर थे, लेकिन उनका सपना था कि वो हीरो बने। फिर उन्हें साइलेंट मूवीज से ब्रेक मिला और वे अपने डांस मूव्स से स्टार बने।
भगवान दादा ने बनाई कम बजट की फिल्में
भगवान दादा एक फिल्मस्टार बनने का सपना देखते थे। अंततः उन्होंने फिल्म बनाना सीखा और कम बजट की फिल्में बनाना शुरू की। वे अक्सर भोजन की व्यवस्था और को-स्टार्स के कॉस्ट्यूम्स खुद ही डिजाइन करते थे। 1938 में, उन्होंने अपनी पहली फिल्म बहादुर किसान का सह-निर्देशन किया।
कम बजट की फिल्मों से फेमस हुए भगवान दादा
1940 के दशक में, भगवान दादा ने कम बजट की सफल और एक्शन फिल्मों से प्रसिद्धि हासिल की। 1942 में, वह जागृति प्रोडक्शंस के साथ-साथ प्रोड्यूसर भी बन गए। हालांकि, मैन स्ट्रीम में सफलता हासिल करने में वे अभी भी दूर थे।
भगवान दादा ने मानी राज कपूर की सलाह
1951 जब राज कपूर ने उन्हें एक सामाजिक फिल्म बनाने की सलाह दी, तो भगवान दादा ने अलबेला फिल्म बनाई, जो साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। शोला जो भड़के... गाने पर उनका डांस सेंसेशन बन गया। उन्होंने झमेला (1953) और भागम भाग (1956) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाई।
25 कमरों वाले सी-फेसिंग बंगले में रहते थे भगवान दादा
अपने स्टारडम के पीक पर भगवान दादा मुंबई में सी- फेसिंग वाले 25 कमरों के बंगले में रहते थे। उनके पास 7 लग्जरी कार थी, जिनका यूज वे हर दिन करते थे। उस दौरान वह भारत के सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक्टर्स में से एक थे।
शुरू हुआ भगवान दादा का डाउनफॉल
1960 के दशक के बाद, भगवान दादा ने कैरेक्टर रोल करना शुरू किए। उन्होंने कुछ फिल्में बनाई जो बुरी तरह से फ्लॉप हुई। फिल्म उन्होंने फिल्म हंसते रहना बनाई और सारी जमा पूंजी इसमें लगा दी। फिल्म में उन्होंने किशोर कुमार को साइन, जो उनकी सबसे बड़ी गलती थी। किशोर कुमार ने बीच में ही फिल्म छोड़ दी। ये फिल्म कभी पूरी नहीं हुई।
बेचना पड़ा बंगला और गाड़ी
फिल्म हंसते रहना की वजह से भगवान दादा को भारी नुकसान हुआ। तंगी के कारण उन्हें अपना आलीशान बंगला और गाड़ियां तक बेचनी पड़ी। वो दोस्त जो कभी उनके पैसों पर ऐश करते थे उन्होंने भी उनसे मुंह मोड़ दिया था। भगवान दादा को अपने परिवार के साथ एक चॉल में रहना पड़ा। और आखिरकार 2002 में उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई।
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