सार
महमूद, बॉलीवुड के सबसे बड़े कॉमेडियन, का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा। अंडे बेचने से लेकर टैक्सी चलाने तक, उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। जानिए कैसे एक जूनियर आर्टिस्ट की वजह से उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिला और वे स्टार बन गए।
एंटरटेनमेंट डेस्क. फिल्मी दुनिया एक ऐसी जगह है, जहां किस्से-कहानियों की भरमार है। फिल्मी सितारों की जिंदगी से जुड़े ऐसे कई दिलचस्प किस्से हैं, जिनके बारे में जानने को हर कोई बेताब रहता है। आज आपको बॉलीवुड फ्लैशबैक स्टोरी में इंडस्ट्री के सबसे बड़े कॉमेडियन महमूद (Mahmud) की जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से बताने जा रहे हैं। वैसे, महमूद के लिए फिल्मी सफर आसान नहीं था, दर-दर ठोकरे खाने के बाद उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिला था। 29 सितंबर 1932 को मुंबई में जन्मे महमूद, एक्टर-डांसर मुमताज अली के 8 बच्चों में एक थे। वहीं, आपको बता दें कि मेहमूद खुद 7 बच्चों के पिता थे।
घर की माली हालत सुधारने महमूद ने बेचे अंडे
महमूद के पिता फिल्मों में छोटे-मोटे एक्टर और डांसर थे। उनकी कमाई इतनी नहीं थी कि वे अपने 8 बच्चों का पालन-पोषण अकेले करें। घर की माली हालत को देखते हुए महमूद को पैसा कमाने बाहर निकलना पड़ा। उन्होंने पैसा कमाने अंडे बेचना शुरू किया। वे टैक्सी चलाने का काम भी करते थे। उन्होंने कुछ समय के लिए ट्रेनों में टॉफी बेचने का भी काम किया। बताया जाता है कि महमूद टेनिस प्लेयर थे और उन्हें मीना कुमारी को टेनिस सिखाने के लिए रखा गया था। इस दौरान उनका दिल मीना कुमारी की बहन मधु पर आ गया था और फिर दोनों ने शादी कर ली थी।
कैसे मिला था महमूद को पहला फिल्मी रोल
रिपोर्ट्स की मानें तो महमूद प्रोड्यूसर ज्ञान मुखर्जी की कार चलाते थे और उन्हें 75 रुपए सैलरी मिलती थी। ज्ञान मुखर्जी की कार चलाने के दौरान उन्हें कई बार स्टूडियो में आने जाने का मौका मिलता था। ऐसे में उनकी पहचान कलाकारों से भी होने लगी थी। एक दिन फिल्म नादान की शूटिंग के दौरान एक जूनियर आर्टिस्ट अपने डायलॉग्स नहीं बोल पा रहा था। और इसी वजह से टेक पर टेक हो रहे थे, जिससे मेकर्स परेशान हो गए थे। किस्मत देखिए उस वक्त महमूद वहीं मौजूद थे और इत्तेफाक से डायरेक्टर हीरा सिंह ने महमूद को डायलॉग बोलने के लिए कहा। फिर क्या था महमूद ने कोई टेक के शॉट पूरा कर दिया और इसके बदले उन्हें 300 रुपए मिले। इसके बाद महमूद ने ड्राइवर की नौकरी छोड़ी और अपना पूरा फोकस फिल्मों में काम करने पर लगा दिया।
महमूद ने झेले कई रिजेक्शन
फिल्मों में काम पाने के दौरान महमूद को कई बार रिजेक्शन का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने फिल्मों में छोटे-छोटे रोल कर एक्टिंग करियर की शुरुआत की। उन्होंने सीआईडी, मेम साहब, बारिश, प्यासा, एक साल, परवरिश, छोटी बहन, मंजिल, छोटे नवाब, दिल तेरा दीवाना, कहीं प्यार न हो जाए, मामाजी, जिदी, जिंदगी, गुमनाम, काजल, लव इन टोकियो, आंखें जैसी फिल्मों में काम कर पॉपुलैरिटी हासिल की।
फिल्मों में हीरो से ज्यादा था महमूद का रूतबा
फिल्मों में काम करते-करते महमूद इतने बड़े स्टार बन गए कि उनका रूतबा हीरो से ज्यादा हो गया था। इतना ही नहीं महमूद की पॉपुलैरिटी देखकर फिल्म मेकर्स मूवीज के पोस्टर पर उनकी फोटो भी लगाने लगे थे। कहा जाता है कि धीरे-धीरे महमूद की फीस भी लीड हीरो से ज्यादा हो गई थी। उन्होंने भूत बंगला, पड़ोसन, बाम्बे टू गोवा, गुमनाम, कुंवारा बाप जैसी फिल्मों भी बनाई। राइटर मनमोहन ने अपने एक आर्टिकल में महमूद और किशोर से जुड़ा एक दिलचस्प किस्से शेयर किया था। इसमें जिक्र किया था कि महमूद ने किशोर कुमार से उन्हें अपनी फिल्म में रोल देने को कहा था। लेकिन किशोर, महमूद की अदायगी से वाकिफ थे। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे किसी भी शख्स को मौका नहीं दे सकते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए चैलेंज बन जाए। उनकी इस बात पर महमूद ने कहा था एक दिन जब वे फिल्म बनाएंगे तो उनको जरूर मौका देंगे और ऐसा ही हुआ। महमूद ने फिल्म पड़ोसन प्रोड्यूस की और इसमें उन्होंने किशोर कुमार को काम करने का मौका दिया।
300 फिल्मों में किया था महमूद ने काम
महमूद ने अपने करियर में तकरीब 300 फिल्मों में काम किया था। उनकी आखिरी फिल्म घर बाजार थी, जो 1998 में आई थी। आपको बता दें कि महमूद ने लाइफ में 2 शादी की थी और वे 7 बच्चों के पिता बने। 2004 में यूएस में उनका निधन हो गया था।
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