Randeep Hooda Tribute: रणदीप हुड्डा ने पालतू घोड़े रणजी के 23 साल की उम्र में निधन पर भावुक श्रद्धांजलि दी। इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि रणजी की कहानी संघर्ष और बचाव की मिसाल रही है, और अब वे घोड़ों को पालतू नहीं रखना चाहते।
एंटरटेनमेंट डेस्क। बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा ने अपने प्यारे पालतू घोड़े रणजी के निधन पर शोक जताया है। शनिवार (2 अगस्त) को उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने प्यारे रणजी घोड़े को श्रद्धांजलि दी, हाल में 23 साल की उम्र में उसका निधन हो गया। इंस्टाग्राम पर, उन्होंने घोड़े के लिए एक स्पेशल नोट लिखा है। रणदीप ने रणजी के साथ अपने कुछ यादगार पलों को दिखाते हुए एक वीडियो शेयर किया। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि आज मेरा दिल टूट गया है और वह अब घोड़ों को पालतू जानवर के रूप में नहीं रखना चाहते।
रणदीप हुड्डा को किस्मत से मिला रणजी
रणदीप ने लिखा, "हमने खुशियां मनाईं, मौज-मस्ती की, धूप में मौसम बिताए, लेकिन जिन पहाड़ियों पर हम चढ़े, वे बस मौसमों से बेमेल थीं। 2002 में एक आर्मी डिपो में गेलॉर्ड (GY) द्वारा जन्मे। इस हॉर्स के बारे में बता दूं कि सेना के अस्तबल में इस घोड़े की आंखों में कीड़े लग गया, उसका ऑपरेशन फेल हो गया। इसके बाद सेना ने उसे रिजेक्ट कर दिया। इस एक आंख वाले छोटे घोड़े की नीलामी की गई और एक तांगे वाले ने इसे खरीद लिया। कर्नल दहिया इस बात से परेशान थे, वे नहीं चाहते थे कि ये घोड़ा अब पूरी लाइफ तांगा खींचे। उन्होंने कर्नल अहलावत को अर्जेंट फ़ोन कॉल किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उसकी लाइफ बचा लो।" हुड्डा ने कहा, "कर्नल साहब अपने इस बच्चे को बेचने के मूड में थे ही नहीं, फिर उन्हें इसकी ईएमआई चुकानी पड़ी। इसके बाद वह मेरी लाइफ में आ गया, और मेरे जीवन को खुशहाल बना दिया।
रणदीप हुड्डा ने बताया क्यों रखा घोड़े का नाम रणजी
घोड़े का नाम रणजी रखने की वजह बताते उन्होंने कहा, "मैंने उसका नाम रणजी इसलिए रखा क्योंकि उसकी एक आंख महाराजा रणजीत सिंह गायकवाड़ (रणजी ट्रॉफी का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है) जैसी थी। कर्नल द्वारा उसे स्वतंत्र रूप से पाला गया, जिसके कारण वह एक बेहद शरारती था। हम उसे जिस भी अस्तबल में रखते, वह वहां से कूद जाता या रेंगकर निकल जाता।
