Kerala Story Awards: सुदीप्तो सेन को 'द केरल स्टोरी' के लिए बेस्ट डायरेक्टर का नेशनल अवार्ड मिला और फिल्म ने सिनेमेटोग्राफी का भी पुरस्कार जीता। निर्देशक ने खुशी जताई, पर अदा शर्मा, राइटर और मेकअप आर्टिस्ट के लिए अवॉर्ड न मिलने पर निराशा भी जताई।
एंटरटेनमेंट डेस्क। सुदीप्तो सेन की "The Kerala Story" में अदा शर्मा ने लीड रोल निभाया है। इस फ़िल्म ने निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी के लिए दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। लेकिन फ़िल्म के डायरेक्टर सुदीप्तो सेन अभी भी खुद को कमतर महसूस करते हैं। फ़िल्म निर्माता ने कहा कि फ़िल्म और भी पुरस्कारों की हकदार थी। वे कम से कम तीन और राष्ट्रीय पुरस्कार की उम्मीद कर रहे थे। जिस पर उन्होंने अफसोस तो जताया है, लेकिन जो मिला उसके लिए थैंक्स भी कहा है।
सुदीप्तो सेन को इन तीन कैटेगिरी में थी अवार्ड की उम्मीद
‘द केरल स्टोरी’ के लिए बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड हासिल करने वाले सुदीप्तो सेन ने राष्ट्रीय पुरस्कारों पर चर्चा की है। सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिलने पर अपने पहले रिएक्शन के बारे में पूछे जाने पर सुदीप्तो ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, "यह एक आश्चर्य था। मुझे तकनीकी कैटेगिरी में पुरस्कारों की उम्मीद थी। मैं चाहता था कि मेरे तकनीशियनों के काम को मान्यता मिले। जब कोई फिल्म इतनी बड़ी हो जाती है कि रिलीज़ के दो साल बाद भी उसकी चर्चा हो रही हो, तो वह निश्चित रूप से तकनीकी रूप से अच्छी होती है। इसलिए मुझे उम्मीद थी कि मेरे टेक्नीशियन को पुरस्कार मिलेगा। मेरे DOP को पुरस्कार मिला, लेकिन मुझे खुशी होती अगर मेरे राइटर, मेरे मेकअप आर्टिस्ट और मेरी एक्ट्रेस अदा शर्मा को भी पुरस्कार मिलता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और मुझे थोड़ा दुख हुआ।"
द केरल स्टोरी के डायरेक्टर बताया सम्मान की बात
हालांकि सुदीप्तो का यह भी कहना है कि फिल्म के ज़रिए जो भी मिला, उससे वे खुश हैं, "लेकिन आखिरकार, एक साधारण पृष्ठभूमि से आने और 20-25 साल के संघर्ष के बाद, फिल्म निर्देशन के लिए देश का सर्वोच्च पुरस्कार पाना एक बड़ा सम्मान है। यह बहुत ही अभिभूत (overwhelmed) करने वाला था।"
फिल्म निर्माता का कहना है कि वह इस पुरस्कार को मान्यता नहीं, बल्कि सिर्फ़ एक पहचान मानते हैं। "मैं लगभग 25 सालों से बॉलीवु़ड में हूं, लेकिन मुझे यहां कभी अपनापन महसूस नहीं हुआ। मैं उस स्टाइल के सिनेमा से ताल्लुक नहीं रखता जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री बनाता है। मैं यहां एक बाहरी व्यक्ति ही हूं। लोग मुझे यहां कम ही जानते हैं। मेरे इस सफ़र में उनकी मान्यता कभी कोई बड़ी बात नहीं रही। मेरे दर्शकों की मान्यता मेरे लिए अहम थी।
