सार

Tiger Shroff Film Ganapath Review. टाइगर श्रॉफ और कृति सेनन की फिल्म गणपत शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। विकास बहल की फिल्म पूरी तरह से एक्शन और थ्रिलर से भरी पड़ी है, जो भविष्य की कहानी कहती है।

एंटरटेनमेंट डेस्क. टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff) और कृति सेनन (Kriti Sanon)की मच अवेटेड फिल्म गणपत (Ganapath) शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। डायरेक्टर विकास बहल ने गणपत में भविष्य की कहानी दिखाने की कोशिश की है, जिसमें वह काफी हद तक सफल नहीं रहे हैं। गणपत की कहानी देखने वालों को कई जगह कन्फ्यू्ज्ड करती है। फिल्म में एक्शन-थ्रिलर और ड्रामा ज्यादा है, जबकि एंटरटेनमेंट नाममात्र का है। 200 करोड़ के बजट में बनी गणपत में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) कैमियो करते नजर आ रहे हैं।

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कैसी है टाइगर श्रॉफ की Ganapath की कहानी

सुपर 30, गुडबाय, क्वीन जैसी फिल्मों का डायरेक्शन करने वाले विकास बहल की फिल्म गणपत सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म शुरू होने के महज 10-15 मिनट के अंदर यह अहसास होता है कि फिल्म में सिर्फ एक्शन ही एक्शन है और इसकी कहानी में कोई दम नहीं है। गणपत में टाइगर श्रॉफ जैसा एक्शन हीरो, कृति सेनन जैसी लाजवाब एक्ट्रेस और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की मौजूदगी भी फिल्म में दम नहीं भर पाई। गणपत एक डिस्टोपियन एक्शन फिल्म है यानी एक ऐसी फिल्म जो भविष्य की कहानी बताती है, जिसमें लोग सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाते हैं। फिल्म की कहानी शुरू होती हैं दलपति (अमिताभ बच्चन) से। गणपत में ऐसी दुनिया देखने को मिल रही है, जहां अमीर-गरीब के बीच की खाई है। एक युद्ध के कारण पूरी दुनिया का नाश हो जाता है। इस दौरान बचे हुए अमीर सिल्वर सिटी नाम से एक नई दुनिया बनाते हैं और इसमें गरीब के लिए कोई जगह नहीं है। गरीब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आपस में लड़ते हैं। और इसी लड़ाई को रोकने के लिए दलपति एक बॉक्सिंग रिंग बनाता है। इसके बाद दलपति भविष्यवाणी करता है कि एक दिन गणपत (टाइगर श्रॉफ) आएगा और फिर गरीबों के भी अच्छे दिन आएंगे। फिर शुरू होता है टाइगर श्रॉफ का गुड्डू से गणपत तक का सफर। क्या गणपत गरीबों को इंसाफ दिलवा पाता, इस खेल में जस्सी (कृति सेनन) उसका कितना साथ देती है, ये सब जानने के लिए फिल्म देखने होगी।

कैसा है फिल्म Ganapath का डायरेक्शन

टाइगर श्रॉफ की फिल्म गणपत का डायरेक्शन और लेखन विकास बहल ने किया और वे दोनों की मोर्चो पर फेल नजर आ रहे हैं। गणपत की कहानी काफी कन्फ्यूजिंग है। विकास बहल ने गणपत के जरिए एक नया एक्सपेरिमेंट करने की कोशिश की है, जो फिल्म देखने के बाद सफल होती नजर नहीं आ रही है। फिल्म की कहानी कई जगह सेंसलेस दिख रही है। इसमें लीड हीरो यानी टाइगर श्रॉफ मराठी-मुंबईया भाषा बोल रहा है तो उसके माता-पिता किसी ग्रीस माइथोलॉजी के किरदार में नजर आ रहे हैं। उसके दादा को पंजाब के गांव का दिखाया है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी कमजोर है। हालांकि, फिल्म में जो सबसे अच्छी बात देखने को मिली वो है टाइगर श्रॉफ के धांसू एक्शन सीन्स और उनके शानदार डांस मूव्स।

गणपत की स्टारकास्ट की एक्टिंग

फिल्म गणपत में टाइगर श्रॉफ अपने बेहतरीन एक्शन से सबको इम्प्रेस किया है। वहीं, उनकी एक्टिंग ठीकठाक है। बात कृति सेनन की करें तो हाल ही में उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला और फिल्म में भी उन्होंने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। अमिताभ बच्चन का कैमियो है, जो खास दमदार नहीं है। फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो इसके बैकग्राउंड म्यूजिक पर और काम करने की जरूरत थी। वहीं, फिल्म के VFX शानदार है, लेकिन इन्हें और बेहतर बनाया जा सकता था।

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