Piyush Pandey Death: विज्ञापन गुरु पद्मश्री पीयूष पांडे का 24 अक्टूबर को 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने फेविकोल और कैडबरी जैसे प्रतिष्ठित अभियानों से भारतीय विज्ञापन को नई पहचान दी। वह पद्मश्री पाने वाले विज्ञापन जगत के पहले व्यक्ति थे।
एड गुरु पद्मश्री पीयूष पांडे का 24 अक्टूबर को निधन हो गया। वो 70 साल के थे। खबरों के अनुसार, पीयूष एक इन्फेक्शन से जूझ रहे थे और यही उनकी मौत की वजह बनी। वहीं अब उनका अंतिम संस्कार मुंबई में होगा। उनके यूं चले जाने से एंटरटेनमेंट और ऐड जगत में शोक की लहर दौड़ उठी है।
कौन थे पीयूष पांडे?
पीयूष पांडे का जन्म जयपुर में हुआ था। उनका विज्ञापन जगत से पहला जुड़ाव कम उम्र में ही हो गया था, जब उन्होंने और उनके भाई प्रसून ने रोजमर्रा की चीजों के लिए रेडियो जिंगल्स की आवाज दी थी। साल 1982 में ओगिल्वी में शामिल होने से पहले, उन्होंने क्रिकेट, चाय चखने और कई निर्माण कार्यों में हाथ आजमाया, लेकिन ओगिल्वी में ही उन्हें अपनी मंजिल मिली और उन्होंने भारत के खुद से बात करने के तरीके को नए सिरे से परिभाषित किया। उनके एशियन पेंट्स का 'हर खुशी में रंग लाए', कैडबरी का 'कुछ खास है', फेविकोल की प्रतिष्ठित 'एग' फिल्म और हच का पग विज्ञापन जैसे अभियान भारतीय लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गए।
पीयूष ने 2004 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में पहले एशियाई जूरी प्रेसिडेंट के रूप में भी इतिहास रचा था। इसके बाद में उन्हें CLIO लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (2012) और पद्म श्री से सम्मानित किया गया था, जिससे वो भारतीय विज्ञापन जगत के पहले व्यक्ति बन गए जिन्हें यह सम्मान मिला।
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सेलेब्स ने पीयूष को दी श्रद्धांजलि
पीयूष को सोशल मीडिया के जरिए सेलेब्स ने श्रद्धांजलि दी। जहां फिल्ममेकर हंसल मेहता ने पीयूष के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, 'फेविकोल का जोड़ टूट गया। विज्ञापन जगत ने आज अपना गोंद खो दिया।' अभिनेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी पीयूष को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा, 'पीयूष पांडे सिर्फ एक विज्ञापन कलाकार नहीं थे- वो भारत के बेहतरीन कहानीकारों में से एक थे। उन्होंने हमें सिखाया कि भावनाएं रचनात्मकता की सबसे सच्ची भाषा हैं। उनके शब्दों ने ब्रांडों को मानवीय और विचारों को अमर बना दिया। उस दिग्गज को विदाई जिसने हमें महसूस करने, सोचने और मुस्कुराने का मौका दिया।' म्यूजिक कंपोजर एहसान नूरानी ने पांडे की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ‘पीयूष पांडे, आपकी आत्मा को शांति मिले, वो व्यक्ति जिसने विज्ञापन में रचनात्मकता को फिर से परिभाषित किया और सबसे यादगार अभियान बनाया।’
