सार

गोवा के बाउंटी हंटर फ्रांसिस से शुरू होती कहानी, प्राचीन काल के वीर कंगुवा और पांच द्वीपों तक फैली है।

सूर्या स्टारर और शिवा द्वारा निर्देशित 'कंगुवा' एक पीरियड एक्शन ड्रामा फिल्म है। हालाँकि, कहानी पूरी तरह से पीरियड ड्रामा नहीं है। यह एक काल्पनिक दुनिया की कहानी को वर्तमान समय से जोड़कर आगे बढ़ती है। कंगुवा की सबसे बड़ी खासियत इसके हाई-ऑक्टेन एक्शन सीन्स हैं।

कहानी गोवा के एक पुलिस मुखबिर और बाउंटी हंटर फ्रांसिस से शुरू होती है। वह और उसकी पूर्व प्रेमिका एंजेलीना अपराधियों को पकड़कर पुलिस को सौंपते हैं और इनाम लेते हैं। दोनों के बीच एक प्रतिस्पर्धा चल रही है। ऐसे ही एक बाउंटी हंट के दौरान, एक लड़का फ्रांसिस के पास आता है। इस लड़के और फ्रांसिस का क्या रिश्ता है? प्राचीन काल के पांच द्वीपों के वीर कंगुवा और फ्रांसिस के बीच क्या संबंध है? इसी के इर्द-गिर्द कहानी घूमती है।

शिवा एक ऐसे निर्देशक हैं जिन्होंने हमेशा एक्शन फिल्मों में अपनी काबिलियत साबित की है। साथ ही, उनकी फिल्मों की खासियत है कि वो कहानी में एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा करने की कोशिश करते हैं। कंगुवा भी कुछ ऐसा ही है, जहाँ एक वादे को निभाने के लिए कंगुवा और बाद में फ्रांसिस का एक्शन से भरपूर सफर दिखाया गया है।

कहानी का यह भावनात्मक पहलू कितना कारगर रहा है, यह एक सवाल है। निर्देशक ने कहानी को बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ाया है। कई जगह शिवा की पिछली फिल्म 'विवेगम' की गति याद आती है। निर्देशक दर्शकों को एक सीन से दूसरे सीन में बहुत जल्दी ले जाते हैं।

वहीं, फिल्म को एक एक्शन फिल्म के रूप में ही बनाया गया है। इसलिए शुरू से ही एक्शन की कोई कमी नहीं है। एक्शन सीन्स को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है। कबीलों के बीच की लड़ाई, जंगल में लड़ाई, समुद्री दृश्य, सभी दर्शकों को एक शानदार अनुभव प्रदान करते हैं। यह फिल्म बड़े पर्दे पर देखने लायक है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि सूर्या अकेले ही फिल्म को आगे बढ़ाते हैं। फिल्म में कई सारे सहायक कलाकार हैं, लेकिन ज़्यादातर स्क्रीन टाइम सूर्या का ही है। स्टाइलिश फ्रांसिस के अलावा, सूर्या ने 'वाइल्ड' और 'रॉ' कंगुवा के किरदार में कमाल का काम किया है। एक्शन सीन्स में सूर्या का दबदबा देखते ही बनता है। इसमें कोई शक नहीं कि कंगुवा सूर्या के करियर की सबसे बेहतरीन एक्शन फिल्मों में से एक होगी।

वेट्री पलानीस्वामी का कैमरा वर्क बेहद खूबसूरत है। काल्पनिक पांच द्वीपों को जीवंत बनाने में उनका बड़ा योगदान है। फिल्म की तेज़ गति के लिए दिवंगत एडिटर निषाद युसूफ का भी योगदान सराहनीय है। देवी श्री प्रसाद का बैकग्राउंड म्यूजिक कंगुवा के एक्शन सीन्स को और भी दमदार बनाता है।

कंगुवा का यह पहला भाग है। फिल्म अगले भाग के लिए एक मज़बूत आधार तैयार करती है। कंगुवा में दर्शकों को बांधे रखने वाले कई तत्व हैं। लेकिन, क्या फिल्म इन तत्वों को दर्शकों के दिल तक पहुँचा पाती है, यह एक सवाल है। फिर भी, प्रोडक्शन क्वालिटी और सूर्या के अभिनय के लिए कंगुवा देखने लायक है। फिल्म के अंत में एक खास कैमियो भी है, जो दर्शकों को उत्साहित करता है।