सार

गुल्लक के तीन सीजन पहले आ चुके हैं और तीनों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। अब इसका चौथा सीजन आ गया है और इस बार कहानी एडल्टिंग और पैरेंटिंग के बीच के फर्क पर आधारित है।

एंटरटेनमेंट डेस्क. मिश्रा परिवार एक बार फिर दर्शकों को हंसाने-खिलखिलाने और जिंदगी के सबक देने लौट आया है। हम बात कर रहे हैं सोनी लिव की पॉपुलर वेब सीरीज 'गुल्लक' की, जिसका चौथा सीजन 7 जून को रिलीज हो गया है। संतोष मिश्रा यानी जमील खान के परिवार की कहानी इस बार एडल्टिंग बनाम पैरेंटिंग के इर्द-गिर्द बुनी गई है और पिछले तीन सीजन की तरह यह सीजन भी दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ता नज़र आता है। आइए बताते हैं आपको कैसी है 'गुल्लक सीजन 4'...

अन्नू मिश्रा का नौकरी में संघर्ष तो अमन मिश्रा की टीनऐज से एडल्टिंग में एंट्री

चौथे सीजन में काफी कुछ बदलाव देखने को मिले हैं। स्टार कास्ट में नहीं, बल्कि इसके किरदारों में। अन्नू मिश्रा (वैभव राज गुप्ता), जो तीसरे सीजन में बिजी विदाउट वर्क थे, अब वर्क यानी जॉब में संघर्ष कर रहे हैं। वे एमआर यानी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव बन चुके हैं और इस जॉब को करते वक्त जो चुनौतियां आ रही हैं, उनका सामना कर रहे हैं। अन्नू के छोटे भाई अमन मिश्रा (हर्ष मायर) टीनऐज से एडल्ट ऐज में एंट्री ले रहे हैं और उनकी थोड़ी-थोड़ी दाढ़ी भी निकल रही है। पापा संतोषी मिश्रा (जमील खान) बच्चों की सही पैरेंटिंग के तरीके खोज रहे हैं और मां शांति मिश्रा (गीतांजलि कुलकर्णी) पूरे परिवार को साथ लेकर चलने की कोशिश में लगी हुई है। पड़ोसन बिट्टू की मम्मी (सुनीता राजावर) बार-बार आकर मिश्रा परिवार की टांग खिंचाई करती हैं और उनकी एंट्री वाकई कहानी में चार-चांद लगा देती है। नए किस्सों की इस गुल्लक की खनक महसूस करने के लिए आपको यह वेब सीरीज देखनी होगी।

‘गुल्लक सीजन 4’ की शानदार राइटिंग और जानदार क्रिएशन

गुल्लक के चौथे सीजन के क्रिएटर श्रेयांश पांडे हैं, जबकि इसकी कहानी विदित त्रिपाठी ने लिखी है। खास बात यह है कि विदित त्रिपाठी ने पहली बार इस सीरीज की कहानी लिखी है, लेकिन वे कहीं भी निराश करते नज़र नहीं आते। यह सीजन पहले तीन सीजन को ना केवल कनेक्ट करता है, बल्कि पहले तीनों सीजन के मुकाबले बेहतरीन बन पड़ा है। विदित त्रिपाठी ने अपनी लेखनी से इस कहानी में इमोशन डाला है, ड्रामा डाला और हास्य का पुट भी दिया है। बच्चों की लेकर मां-बाप की चिंता हो, पड़ोसियों की उलाहना हो या फिर दो भाइयों के बीच होने वाली नोकझोंक, सबकुछ इस तरह से पेश किया गया है, जैसे कि दर्शक असल में उन पलों के साक्षी हों। कुल मुलाकर विदित त्रिपाठी का लेखन और श्रेयांश पांडे का क्रिएशन दर्शकों को मनोरंजन का तगड़ा मिक्सचर लेकर आया है।

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