सार

अफवाह से जुड़ा यह पोस्ट फेसबुक पर शेयर किया जा रहा है। ट्विटर पर भी लोग कोरोना वायरस को बैक्टिरिया बताकर  ऐस्प्रिन से इलाज का दावा कर रहे हैं। 

नई दिल्ली. कोविड-19 (Covid-19) महामारी से दुनिया भर में 62 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। विशेषज्ञों के बीच जहां इसका इलाज खोजने की होड़ मची है। वहीं डरे-सहमे लोग जल्द से जल्द इन खोजों के परिणामों का इंतजार कर रहे हैं। इसी का फायदा उठाकर कुछ तत्व लगातार कोरोना वायरस (Coronavirus) से जुड़ी अफवाहें फैलाने में लगे हैं। इन अफवाहों को बड़ी संख्या में लोग सच मानकर सोशल मीडिया पर शेयर भी कर रहे हैं। अब एक नया दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस दावे में कोरोना वायरस को एक छोटा बैक्टीरिया बताया जा रहा है। इतना ही नहीं एक एंटीबायोटिक दवा ऐस्प्रिन से इसके इलाज का दावा भी किया जा रहा है। 

फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर इस दावे का सच क्या है? 

वायरल पोस्ट क्या है? 

फेसबुक और ट्विटर पर वायरल मैसेजेस में यह दावा किया जा रहा है कि इटली में यह खोज हुई है कि कोरोना वायरस एक बैक्टीरिया है। इसका इलाज ऐस्प्रिन (एक एंटीबायोटिक दवा) से किया जा सकता है।

 

 

क्या दावा किया जा रहा है? 

अफवाह से जुड़ा यह पोस्ट फेसबुक पर शेयर किया जा रहा है। ट्विटर पर भी लोग कोरोना वायरस को बैक्टिरिया बताकर  ऐस्प्रिन से इलाज का दावा कर रहे हैं। 

 

 

फैक्ट चेक पड़ताल 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस समय कोरोना वायरस से जुड़ी अहम जानकारियों का दुनिया का सबसे बड़ा और विश्वसनीय केंद्र है। सबसे पहले हमने यहीं इस मैसेज की सत्यता जांच करनी शुरू की। डब्ल्यूएचओ की टीम अपने Myth busters सेक्शन पर कोरोना वायरस से जुड़ी अफवाहों का खंडन करता है। यहां पहले ही कोरोना वायरस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से होने की बात को गलत बताया जा चुका है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोविड-19 वायरस ही है। वहीं प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्योरो ने भी इस खबर का फैक्ट चेक करके इसे फर्जी बताया है। 

 

 

अंतरराष्ट्रीय खबरें प्रसारित करने वाले प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर ऐसा कोई अपडेट नहीं है, जिसमें बताया गया हो कि इटली ने कोरोना वायरस को बैक्टीरिया बताया है और इसका इलाज ऐस्प्रिन से होने की पुष्टि की है।

ये निकला नतीजा 

कोविड-19 के बैक्टीरिया होने और इसका इलाज ऐस्प्रिन से संभव होने की बात अफवाह है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने  इसका खंडन किया और अफवाहों से दूर रहने की हिदायत दी है।