सार
अब से Covid-19 को लेकर सोशल मीडिया या वॉट्सऐप पर कोई भी अपडेट शेयर करना दंडणीय अपराध होगा।
तो आइए हम फैक्ट चेकिंग में जानते हैं कि आखिर इस दावे की सच्चाई क्या है ?
वायरल मैसेज में क्या है दावा ?
यह मैसेज देश के कई हिस्सों में शेयर किया जा रहा है। मैसेज के साथ Live Law नाम की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट का लिंक भी शेयर किया जा रहा है। जिसमें एक रिपोर्ट है, यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से दायर उस याचिका पर थी जिसमें सरकार ने Covid-19 से जुड़ी जानकारी को सरकारी तथ्यों से मिलाए बिना मीडिया में छापने से बचने की मंजूरी मांगी थी।
सके साथ ही अनुरोध किया जा रहा है कि सभी ‘ग्रुप ऐडमिन 2 दिनों के लिए अपनी ग्रुप बंद कर दें क्योंकि अगर किसी ने गलती से भी कोरोना पर कोई मजाक शेयर किया तो पुलिस ऐडमिन और ग्रुप के अन्य सदस्यों के खिलाफ धारा 68, 140 और 188 के तहत कार्रवाई कर सकती है।
आज रात 12 बजे से Disaster Management Act पूरे देश में लागू हो जाएगा। जिसके बाद सरकार के अलावा यदि कोई व्यक्ति कोरोना से जुड़े अपडेट, फॉरवर्डेड मेसेज शेयर करता है तो यह दंडणीय अपराध है। अत: ग्रुप ऐडमिन से निवेदन है कि वे इस सूचना को सभी ग्रुपों में पहुंचा दें और इसकी सख्ती से इसका पालन करें।
वायरल मैसेज की क्या है सच्चाई ?
जब हमने इसकी सच्चाई जानने के लिए Live Law बेवसाइट को देखा तो पाया की उस आर्टिकल में यह लिखा गया है कि सरकार ने Covid-19 से जुड़ी खबरें चलाने से पहले सरकारी तथ्यों से मिलान करने के निर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पर इस पर CJI एस.ए. बोबडे ने आदेश दिया कि ‘हम महामारी पर अभिव्यक्ति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते लेकिन मीडिया को इस महामारी से जुड़ी आधिकारिक जानकारी ही जनता तक पहुंचानी चाहिए।’ इसके साथ ही बेवसाइट ने ट्विट कर भी मैसेज में किए जा रहे दावे का खंडन किया है।
ये निकला नतीजा
हालांकि सरकार ने कोरोना को लेकर Disaster Management Act, 2005 को लागू किया है जसकी धारा 54 के तहत किसी आपदा से जुड़ी गलत जानकारी साझा करने वाले के लिए दंड का प्रावधान है। लेकिन वायरल मैसेज में जो दावा किया जा रहा है कि सरकार के अलावा कोई व्यक्ति कोरोना को लेकर कोई भी अपडेट, फॉरवर्डेड मेसेज शेयर नहीं कर सकता ये दावा गलत है। अगर कोई व्यक्ति सही जानकारी साझा करता है तो यहअपराध नहीं है।