सार
एक व्यक्ति को 'द गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड' के खिताब से नवाजा गया है। उसने 2,923 नींबू से बनी सबसे बड़ी फलों की बैटरी बनाने का काम किया है।
फूड डेस्क : आज की आधुनिक दुनिया में लोग तरह-तरह के इनोवेशन करते हैं और नई तकनीक के साथ कई रिकॉर्ड हासिल करते हैं। उन्हीं में से एक रिकॉर्ड बनाया है शैफुल इस्लाम (Shaiful Islam) नाम के इस शख्स ने। जिसने नींबू जैसे फल से दुनिया की सबसे बड़ी फलों की बैटरी बनाई और 'द गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड' (Guinness World Record) में अपना नाम दर्ज कराया। इस शख्स ने 2923 नींबू का इस्तेमाल करके 2307.8 वोल्ट की बैट्ररी (lemon battery) बनाई है। जिसका इस्तेमाल गो कार्टिंग की कार चलाने में किया गया। आइए आज हम आपको दिखाते हैं, इस शख्स का अविष्कार...
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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाले शैफुल इस्लाम ने रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री की मदद से नींबू की बैटरी बनाई। इस सबसे बड़ी फल बैटरी ने गो-कार्ट की दौड़ शुरू करने के लिए पर्याप्त शक्ति का उत्पादन किया। इसका वीडियो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज पर अपलोड किए गया। जिसमें आप देख सकते हैं, कि शैफुल ने कैसे 2923 नींबू से इतनी बड़ी फलों की बैटरी बनाई। वह बताते हैं, कि ये बिजली कैसे बनती है और इस प्रयोग में नींबू का इस्तेमाल क्यों किया गया है। वीडियो के आखिर में वह यह भी बताते हैं कि यह लेमन बैटरी प्रोटोटाइप व्यर्थ नहीं जाएगा, वह इसका उपयोग कम कार्बन ऊर्जा बनाने के लिए करेगा जो आज की दुनिया में आवश्यक है।
सोशल मीडिया पर ये लेमन बैटरी का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और लोग इसे बनाने वाले शख्स के आविष्कार की सराहना कर रहे हैं। एक यूजर ने इसपर कमेंट किया- "क्या प्रशंसनीय विचार है। विज्ञान जीवन है।" एक अन्य यूजर ने लिखा- "यह वास्तव में अद्भुत है" और एक ने लिखा- "अब हमें कुछ ऐसा विश्व रिकॉर्ड मिला है जो "कीड़े खाने", "कीट टैटू रिकॉर्ड" की तुलना में एक योग्य रिकॉर्ड है।
इंस्टाग्राम पेज ने आगे लिखा गया कि इस प्रयोग के हर हिस्से को अंततः विभिन्न रूपों में प्रकृति को वापस दिया जाएगा। उन्होंने लिखा "मजेदार तथ्य: रिकॉर्ड प्रयास के बाद, इस्तेमाल किए गए नींबू को विडनेस, यूके में रेफूड में प्रोसेसड किया गया, जो बायोगैस का उत्पादन करने के लिए एनारोबिक पाचन विधि का उपयोग करके खाद्य अपशिष्ट से अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। साथ ही कोई भी शेष तरल स्थानीय खेती और कृषि उपयोग के लिए जैव-उर्वरक में बदल जाता है।"
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