चाणक्य नीति: कौन है मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र, सबसे बड़ा धन और शत्रु?
उज्जैन. आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे। आज भी इनकी गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। इन्होंने अपनी नीतियों और कुशाग्र बुद्धि का प्रयोग करते हुए नंदवंश का नाश किया और एक साधारण बालक से चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। आचार्य चाणक्य द्वारा लिखे गए नीति शास्त्र की बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में रिश्तों, धन, व्यापार आदि को लेकर महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। जानते हैं कौन है मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र, सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा धन
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सबसे अच्छा मित्र
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सबसे अच्छा मित्र वही है जो विकट परिस्थितियों में आपका साथ दे और अचानक विपत्ति आने पर भी आपको अकेला न छोड़े। बुरे समय में ही एक अच्छे मित्र की पहचान होती है। सही मायने में वही आपका मित्र होता है जो आपको सही और गलत की पहचान करवाता है।
सबसे बड़ा धन
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विपत्ति के समय में धन व्यक्ति को उससे निकलने में सहायता करता है लेकिन धन भी न होने पर भी ज्ञान ही व्यक्ति के काम आता है। कभी-कभी जब धन भी किसी काम का नहीं रह जाता है तब उस परिस्थिति में व्यक्ति केवल अपने ज्ञान से ही विजय प्राप्त कर सकता है, इसलिए ज्ञान रुपी धन को सदैव अर्जित करते रहना चाहिए।
सबसे बड़ा शत्रु
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु भूख होती है। जब व्यक्ति का पेट खाली होता है तो उस परिस्थिति में व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है इसलिए चाणक्य ने भूख को व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु बताया है।