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शुरू हो चुका है कार्तिक मास, शुभ फल पाने के लिए इस महीने में क्या करें और क्या करने से बचें
उज्जैन. 21 अक्टूबर, गुरुवार से हिन्दी पंचांग का नया महीना कार्तिक (Kartik Maas 2021) शुरू हो चुका है। ये हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना है। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने की और दीपदान करने की परंपरा है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु का भी विशेष पूजन करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार कार्तिक महीने में करवा चौथ, धन तेरस, रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और तुलसी विवाह यानी देवउठनी एकादशी जैसे बड़े त्योहार आएंगे। आगे जानिए इस महीने से जुड़ी खास बातें…
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कार्तिक (Kartik month 2021) महीने में रोज सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए और पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने से पहले सभी तीर्थों और नदियों का ध्यान करना चाहिए।
कार्तिक (Kartik month 2021) माह में सूर्योदय से पहले स्नान करें और उगते सूर्य को जल अर्पित करें। इस दौरान सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप करें। जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए। लोटे में जल भरें और कुमकुम, चावल, फूल भी डालें, इसके बाद ये जल सूर्य को चढ़ाएं।
इस पवित्र महीने में तामसिक यानी अधिक मसालेदार भोजन और मांसाहार का त्याग करना चाहिए। कार्तिक माह में संतुलित आहार लेना चाहिए। खीर का सेवन करें।
कार्तिक (Kartik month 2021) मास में सूर्यास्त के बाद नदी किनारे दीपदान करने की परंपरा है। इस परंपरा के बारे में हमारे धर्म ग्रंथों में भी लिखा है। ऐसा करने से देवताओं की कृपा हम पर बनी रहती है।
कार्तिक (Kartik month 2021) मास में रोज सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जरूर जलाएं। ध्यान रखें शाम को तुलसी को स्पर्श न करें।
कार्तिक (Kartik month 2021) महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।
कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
कार्तिक मास में सुबह जल्दी उठें और ध्यान करें। इस माह में किए गए मेडिटेशन से मन शांत होता है और सकारात्मकता बढ़ती है। निराशा दूर होती है। इस मास में कम बोलें, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।
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