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असम में बिहू, तमिलनाडु में पोंगल और गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाते हैं मकर संक्रांति
उज्जैन. हमारे देश में हर त्योहार मिल-जुल कर मनाने की परंपरा है। कुछ त्योहार ऐसे भी हैं जो एक ही समय पर अलग-अलग नामों से मनाए जाते हैं। मकर संक्रांति भी ऐसा ही एक उत्सव है। ये पर्व सूर्य के मकर राशि में जाने पर मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 14 जनवरी, गुरुवार को है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल, असम में बिहू और गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। जानिए भारत में कहां किस रूप में मनाई जाती है मकर संक्रांति...
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पंजाब में लोहड़ी
पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। इस उत्सव में रात को आग जलाकर उसके आस-पास महिला व पुरुष परंपरागत नृत्य करते हैं। साथ ही आग में तिल, मूंगफली और चिवड़ा डाला जाता है।
तमिलनाडु में पोंगल
पोंगल के त्योहार में मुख्य रूप से बैल की पूजा की जाती है क्योंकि बैल के माध्यम से किसान अपनी जमीन जोतता है। गाए व अन्य पशुओं को सजाया जाता है। उनके सींगों पर चित्रकारी की जाती है। उसके बाद भगवान को नई फसल का भोग लगाया जाता है व गाए व बैलों को भी गन्ना व चावल खिलाया जाता है। इस अवसर पर बैलों की दौड़ और अन्य खेलों का भी आयोजन होता है।
उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है खिचड़ी पर्व
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति का पर्व खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। वहां इस दिन खिचड़ी सेवन एवं खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व माना जाता है। इस दिन सुबह नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
असम में बिहू
मकर संक्रांति के अवसर पर असम में बिहू उत्सव मनाया जाता है। यह फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है। माघ बिहू के पहले दिन को उरुका कहा जाता है। इस दिन लोग नदी के किनारे अथवा खुली जगह में धान की पुआल से अस्थाई छावनी बनाते हैं जिसे भेलाघर कहते हैं। गांव के सभी लोग यहां रात्रिभोज करते हैं। गांव के सभी लोग इस मेजी के चारों और एकत्र होकर भगवान से मंगल की कामना करते हैं।
गुजरात में उत्तरायण
मकर संक्रांति का पर्व गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन वहां के लोग पतंग उड़ाते हैं और तिल-गुड़ के लड्डू खाते हैं।