- Home
- Religion
- Spiritual
- Mahabharat: मुसीबत से घबराएं नहीं, ताकत का अहंकार न करें, आज के युवाओं को भीम से सीखनी चाहिए ये 8 बातें
Mahabharat: मुसीबत से घबराएं नहीं, ताकत का अहंकार न करें, आज के युवाओं को भीम से सीखनी चाहिए ये 8 बातें
महाभारत (Mahabharata) में भीम का किरदार निभाने वाले प्रवीण कुमार सोबती (Praveen Kumar Sobti) का 74 साल की उम्र में निधन हो गया है। हालांकि, निधन की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। एक्टिंग में आने से पहले वे एक हैमर और डिस्कस थ्रो एथलीट थे।
| Published : Feb 08 2022, 02:36 PM IST
- FB
- TW
- Linkdin
समय आने पर बुद्धि का भी उपयोग करें
युद्ध जीतकर जब पांडव हस्तिनापुर गए तो धृतराष्ट्र भीम का वध करना चाहते थे। ये बात श्रीकृष्ण समझ गए और भीम को इशारे कहा कि तुम्हारी जगह लोहे के पुतले को आगे कर दो। भीम ने ऐसा ही किया। धृतराष्ट्र ने अपने बाहुबल से उस लोह की मूर्ति के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और भीम की जान बच गई।
दूसरों की इच्छाओं का सम्मान करें
वन में रहते हुए एक दिन भीम का सामना हिडिंब नामक राक्षस से हुआ। भीम ने उसका वध कर दिया। हिडिंब की बहन हिडिंबा भीम पर आसक्त हो गई। भीम ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो नहीं मानी। अपनी माता और बड़े भाई से आज्ञा लेकर भीम ने उससे विवाह किया कुछ समय तक उसके साथ रहे।
अधर्म का विरोध करें
वनवास के दौरान एक दिन भीम ने देखा कि एक भीमकाय राक्षस कुछ लोगों को बलि के लिए ले जा रहा है तो भीम ने राक्षस से कहा कि उन लोगों को छोड़कर मुझे ले चलो। वहां जाकर भीम को पता चला कि ये राक्षस और कोई नहीं बल्कि उनका और हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच है तो उन्होंने बलि प्रथा का विरोध किया। उनकी बात मानकर हिडिंबा और घटोत्कच ने आगे से बलि देने का विचार त्याग दिया।
कठिन परिस्थितियों से घबराएं नहीं
महाभारत के अनुसार, बचपन में एक बार दुर्योधन और दु:शासन ने भीम को भोजन में विष खिलाकर नदी में फेंक दिया। उस नदी में बड़े-बड़े सांप रहते थे। उनके काटने से भीम का जहर उतर गया और वे होश में आ गए। उन्होंने जब आंखे खोली तो वे नागलोक में थे। उस समय कठिन स्थिति देखकर भी वे घबराएं नहीं और निडरता के साथ अपना परिचय नागलोक के राजा को दिया। प्रसन्न होकर नागलोक के राजा ने उन्हें अमृत कुंडों का रस पीने को दिया। जिससे उनमें 100 हाथियों जितनी ताकत आ गई।
अपनी शक्ति का अहंकार न करें
वनवास के दौरान एक बार भीम जब कहीं जा रहे थे। तब उन्हें मार्ग में एक बूढ़ा वानर दिखाई दिया, जिसकी पूंछ मार्ग पर फैली हुई थी। भीम ने वानर से पूँछ हटाने को कहा। वानर ने वृद्धावस्था होने के कारण ऐसा करने में असमर्थता जताई तो भीम अपनी शक्ति के अहंकार में आकर उसे स्वयं हटाने लगे। लेकिन वानर की पूंछ टस से मन नहीं हुई। वास्तव में वह वानर स्वयं हनुमानजी थे। उन्होंने भीम को समझाया कि शक्ति के अहंकार में निर्बल लोगों को उपहास नहीं करना चाहिए।
परिवार के प्रति समर्पण
भीम अपने परिवार यानी माता और भाइयों के प्रति पूर्ण समर्पित थे। माता की हर बात वे बिना सोचे-समझे मान लेते थे। बड़े भाई युद्धिष्ठिर की कुछ बातों पर वे असहमत भी होते थे, लेकिन फिर उसका पालन करते थे। छोटे भाइयों अर्जुन, नकुल और सहदेव का भी पूरा ध्यान रखते थे।
उपकार का कर्ज जरूर उतारना चाहिए
वनवास के दौरान पांडव एकचक्रा नगरी में एक ब्राह्मण के घर में रह रहे थे। एक नगर में रोज एक परिवार से किसी न किसी सदस्य को राक्षस का भोजन बनकर जाना पड़ता था। जब उस ब्राह्ण परिवार का नंबर आया तो उसकी जगह स्वयं भीम उस राक्षस के पास गए और युद्ध कर उसका अंत कर दिया। इस प्रकार उन्होंने ब्राह्मण का उपकार चुकाया।
अपनों से छोटों की बात भी मानना चाहिए
युद्ध के दौरान एक दिन अश्वत्थामा ने नारायण अस्त्र का प्रयोग किया। पांडव सेना उस अस्त्र की ज्वाला में जलने लगी। तभी श्रीकृष्ण ने से कहा कि सभी लोग अपने अपने अस्त्र जमीन पर रख दें और वाहन से नीचे उतर जाएं। लेकिन भीम ने उनकी बात नहीं मानी। नारायण अस्त्र की ज्वाला उन्हें जलाने लगी। तभी श्रीकृष्ण ने खींचकर भीम से रथ से उतारा और उस अस्त्र को प्रणाम करने को कहा। ऐसा करते ही वह अस्त्र शांत हो गया।