महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था संसार का पहला महाकाव्य रामायण, आज है इनकी जयंती
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वाल्मीकि महर्षि कश्यप और अदिति के नौंवें पुत्र वरुण यानी आदित्य से इनका जन्म हुआ। इनकी माता चर्षणी और भाई भृगु थे। उपनिषद के मुताबिक ये भी अपने भाई भृगु की भांति परम ज्ञानी थे। एक बार ध्यान में बैठे हुए वरुण-पुत्र के शरीर को दीमकों ने अपना ढूह यानी बांबी बनाकर ढक लिया था। साधना पूरी करके जब ये बांबी जिसे वाल्मीकि कहते हैं, उससे बाहर निकले तो इनका नाम वाल्मीकि पड़ा।
क्रोंच पक्षी की हत्या करने वाले एक शिकारी को इन्होंने शाप दिया था तब अचानक इनके मुख से श्लोक की रचना हो गई थी। फिर इनके आश्रम में ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर कहा कि मेरी प्रेरणा से ही ऐसी वाणी आपके मुख से निकली है। इसलिए आप श्लोक रूप में ही श्रीराम के संपूर्ण चरित्र का वर्णन करें। इस प्रकार ब्रह्माजी के कहने पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की।
ये माना जाता है कि जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता का त्याग कर दिया था। तब माता सीता कई सालों तक महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही रही थीं। यहीं पर उन्होंने लव और कुश को जन्म दिया। यहीं पर उन्हें वन देवी के नाम से जाना गया। इसीलिए महर्षि वाल्मीकि (Valmiki Jayanti 2021) का भी उतना ही महत्व है। जितना रामायण में राम, सीता, लक्ष्मण और बाकी किरदारों का है। हर साल महर्षि वाल्मीकि जयंती पर्व अश्विन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार ये 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।