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Air India इसी साल सौंपी जाएगी टाटा ग्रुप को, JRD Tata ने कच्चे घर में बनाया था कंट्रोल रूम, देखें पूरी कहानी
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साल 2021 के अक्टूबर महीने की 8 तारीख को डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट यानी दीपम (Department of Investment and Public Asset Management- DIPAM) की ओर से एयर इंडिया कंपनी के इस नए बदलाव की जानकारी दी थी। दीपम के सेक्रेटरी तुहीन कांत ने बताया कि टाटा समूह ने 18000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। टाटा द्वारा ही एयर इंडिया का 15300 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया जाएगा।
एयर इंडिया पर था 61560 करोड़ का कर्ज
एअर इंडिया पर 31 अगस्त तक 61,560 करोड़ रुपये का कर्ज था। इसमें 15300 करोड़ रुपये टाटा संस चुकाएगी जबकि बाकी के 46,262 करोड़ रुपए AIAHL (Air India asset holding company) भरेगी। एयर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा ग्रुप की ओर से 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई गई थी। जबकि अजय सिंह की स्पाइसजेट ग्रुप ने 15100 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। दोनों बोलियां 12906 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य से कहीं ऊपर थीं।
Tata ने ही शुरू की थी Air India
Air India के संचालन के लिए कई कंपनियों ने बिड लगाई थी। इसमें Tata Group की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही थी। टाटा का Air India से पुराना नाता है। दरअसल Air India की शुरुआत 1932 में टाटा ग्रुप ने ही की थी।टाटा समूह के जे. आर. डी. टाटा (JRD Tata) ने खुद पायलट थे। जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइन्स नाम की जो विमानन कंपनी शुरू की थी, उसमें पायलट के तौर पर काम करते थे। उनके अलावा दो पायलट और भी थे। जेआरडी टाटा घंटों विमान उड़ाया करते थे। इस वजह से Tata Group एयर इंडिया को खरीदने की जी तोड़ कोशिश में जुटा था, Air India को हासिल करके टाटा के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है।
देश के पहले लाइसेंसशुदा पायलट JRD Tata
देश में पहली विमान सेवा की शुरुआत जेआरडी टाटा ने की थी। वे देश के पहले लाइसेंसशुदा पायलट थे। आज से 87 साल पहले उन्होंने टाटा एयरलाइन्स (Tata Airlines) की शुरुआत की थी और कराची से बंबई तक खुद हवाई जहाज उड़ाया था। जेआरडी टाटा किसी भी तरह का विमान उड़ा सकते थे। वे युद्धक विमान उड़ाने का भी शौक रखते थे। उन्होंने कई तरह के विमानों में उड़ान भरी।
एयर इंडिया की 50वीं वर्षगांठ ऐसे की थी सेलीब्रेट
1946 में इसका नाम एयर इंडिया कर दिया गया था, आजादी मिलने के बाद 1947 में ही भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी, इसके बादही 1953 में भारत सरकार ने इसे खरीद लिया। जेआरडी टाटा 1978 तक एयर इंडिया से जुड़े रहे। एयर इंडिया की 30वीं वर्षगांठ पर 15 अक्टूबर 1966 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की उड़ान भरी थी। एयर इंडिया की 50वीं वर्षगांठ पर 15 अक्टूबर 1982 को जेआरडी टाटा ने फिर कराची से मुंबई की उड़ान भरी। बता दें कि टाटा ग्रुप के प्रमुख रतन टाटा भी विमान उड़ाने का शौक रखते हैं। रतन टाटा लड़ाकू विमान भी उड़ाते हैं। उन्हें विमान उड़ाने का खास शौक है।
मिट्टी के मकान में कंट्रोल रूम, मैदान पर रनवे
शुरुआती दौर में टाटा एयरलाइन्स मुंबई के जुहू के पास एक मिट्टी के मकान से संचालित होता था। वहा एक मैदान था, जिसका इस्तेमाल 'रनवे' के रूप में किया जाता था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान विमान सेवाएं रोक दी गईं। इसके बाद 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइन्स 'पब्लिक लिमिटेड' कंपनी बन गई और उसका नाम 'एयर इंडिया लिमिटेड' रखा गया।
बेल आउट पैकेज देकर बचाने की कोशिश
यूपीए सरकार ने Air India को बेल आउट पैकेज देकर बचाने की कोशिश की, लेकिन इसे बचाया नहीं जा सका। बाद में वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने फिर से इसके प्राइवेटाइजेशन की रूपरेखा बनाई। मार्च 2018 में सरकार ने इसके लिए कंपनियों से रुचि पत्र (EOI) मंगवाए थे। साल 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष में इसके विनिवेश का लक्ष्य रखा था।
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