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पुलिस से भी पहले इस बाहुबली के पास थी AK-47,मंत्रियों से रिश्ते; नेता बनने की कोशिश में था,ऐसे हुआ था एनकाउंटर
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बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय उस दौर में बेगुसराय के ही एसपी हुआ करते थे। उनके नेतृत्व में ही अशोक के गिरोह के पास से AK47 का बरामदगी हुई थी। बिहार पुलिस ने 1995 में हाजीपुर में चर्चित एनकाउंटर में अशोक को ढेर कर दिया था।
एक इंटरव्यू में गुप्तेश्वर पांडेय ने बताया था कि 1993-94 में बेगुसराय में 42 मुठभेड़ हुए, जिसमें इतने ही लोग मारे गए। इसमें स्थानीय लोगों ने काफी मदद की। AK 47 से संभवत: पहली हत्या 1990 में हुई थी।
अशोक के पास एके-47 रायफल था, जिसके बारे में दो तरह की बातें होती हैं। पहली यह कि सूरजभान से खुद को बीस साबित करने के लिए उसने पंजाब में सक्रिय खालिस्तान आतंकियों से हाथ मिला लिया था जिन्होंने उसे एके-47 राइफल की सप्लाई की थी, जबकि दूसरी यह कि उसके संपर्क सेना में शामिल कुछ युवाओं से थे, जिसकी वजह से आतंकियों के पास से जब्त एके-47 राइफल चोरी से उसके पास आ गए थे।
अशोक ने अपने पीए की हत्या का बदला लेने के लिए मुजफ्फरपुर के छाता चौक पर AK 47 से गोलियां बरसाई थी। छाता चौक पर दिन दहाड़े उसके गुर्गों ने थाने के ठीक बगल में बाहुबली चंद्रेश्वर सिंह की हत्या कर दी थी।
माना जाता है कि अशोक का उस दौर के मंत्री और लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे बृजबिहारी प्रसाद से भी काफी अच्छा संबंध था। वह कई इलाकों में यह तय करता था कि चुनाव में किसे जीताना है। इसके लिए उसके गुंडे बूथ कैप्चरिंग से लेकर लोगों को डरा धमकाकर वोट दिलाने का काम करते थे। माना जाता है कि इसी नजदीकी के चलते मंत्री रहे बृजबिहारी प्रसाद की हत्या भी हुई थी।
अशोक ने पुलिस को पीछे पड़ा देख राजनीति की ओट लेनी चाही। आनंद मोहन की पार्टी से उसका टिकट भी पक्का हो गया था, लेकिन वह चुनाव लड़ पाता उससे पहले 5 मई 1995 को हाजीपुर एनकाउंटर में वह मारा गया। उसका एनकाउंटर करने वाले इंस्पेक्टर शशिभूषण शर्मा को प्रेसिडेंट मेडल तक से नवाजा गया था। उन्हें सीधे डीएसपी बना दिया गया।