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RJD में शामिल हुईं लवली आनंद, कभी इन्हें सुनने के लिए जुटती थी ऐसी भीड़, परेशान हो गए थे लालू यादव
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साल 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य ने पहली बार लवली का जादू देखा था। लवली आनंद भाभीजी के उपनाम से मशहूर थीं। उस दौर में जनसभाओं में उनको सुनने के लिए लोगों की भीड़ देखते ही बनती थी। रैलियों में बेतहाशा लोग उन्हें सुनने आते थे। लालू जैसे दिग्गज नेताओं की रैली भी लवली आनंद की रैली के आगे फीकी नजर आती। सवर्ण वोटबैंक पर राजनीति कर रही बीजेपी के दिग्गज नेताओं के पास भी "भाभीजी" का कोई तोड़ नहीं था।
बता दें कि लवली के पति आनंद मोहन सिंह, गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत जनता दल से की थी। वह 1990 में विधायक बने थ। इसके बाद दो बार लोकसभा का चुनाव जीते थे।
(फाइल फोटो)
आनंद मोहन ऐसे ही शख्स हैं जो प्रभावशाली थे, बाहुबली भी थे। लेकिन वक्त के साथ उनका राजनीतिक वजूद सिमट गया है। लेकिन, सांसद रह चुकी उनकी पत्नी लवली आनंद "फ्रेंड्स ऑफ आनंद मोहन" नामक ग्रुप बनाकर आज भी पति की रिहाई के लिए संघर्ष कर रही हैं। (फाइल फोटो)
लवली आनंद ने सियासी सफर की शुरुआत अपने पति आनंद मोहन सिंह की बिहार पीपुल्स पार्टी से ही की थी। 1994 में वैशाली संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की पत्नी किशोरी सिन्हा को हराया था।(फाइल फोटो)
2014 के आम चुनाव से पहले वह कांग्रेस में थीं। लेकिन, कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर चुनाव लड़ीं, जिसमें उनकी हार हो गईं थीं। 2015 में जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) से भी जुड़ी थीं।(फाइल फोटो)
जनवरी 2019 में लवली आनंद फिर से कांग्रेस से जुड़ीं। हालांकि, अपने पति को जेल से बाहर लाने की लालच में उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के समर्थन में प्रचार किया। (फाइल फोटो)
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर लवली आनंद को आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। लवली आनंद ने कहा कि वे आरजेडी के साथ खड़ी हैं, तेजस्वी यादव उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपेंगे, उसे निभाने के लिए वे तैयार हैं।