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मुकेश साहनी ने फिर बीजेपी से मिलाया हाथ, आज कर सकते हैं गठबंधन का एलान, कुछ ऐसी हैं चर्चाएं
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महागठबंधन में सीटों का बंटवारा कर दिया गया। इसके अनुसार राष्ट्रीय जनता दल को 144, कांग्रेस को 70, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को छह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को चार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले को 19 सीटें मिली थीं। आरजेडी को अपने कोटे से वीआइपी तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा की सीटों की घोषणा करनी थी। लेकिन इसे विश्वासघात करार देते हुए वीआइपी अध्यक्ष मुकेश साहनी ने महागठबंधन से अलग होने की घोषणा कर डाली थी।
(फाइल फोटो)
जीतन राम मांझी की हम, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलपी के बाद वीआईपी महागठबंधन से अलग होने वाली तीसरी पार्टी है। पिछला लोकसभा चुनाव सभी ने साथ लड़ा था। लेकिन अब इन तीनों दलों के रास्ते अलग हो चुके हैं। मांझी जेडीयू से साथ चले गए हैं तो वहीं कुशवाहा बीएसपी के साथ गठबंधन में बतौर सीएम उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे।
(फाइल फोटो)
खुद को सन ऑफ मल्लाह (नाविक) कहते वाले मुकेश साहनी अब मल्लाह समाज के बडे़ नेता माने जाते हैं। इसके पहले उन्होंने बॉलीवुड अपनी पहचान बनाई। वे बॉलीवुड में इवेंट मैनेजमेंट और हिंदी फिल्मों के लिए सेट डिजायन करते थे।
(फाइल फोटो)
मुकेश साहनी की एक कंपनी है जिसका नाम मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी को चलाने के लिए उन्होंने अपने कई रिश्तेदारों को रखा है ताकि वह अपने राजनीतिक सपने को पूरा कर सकें। वे 'देवदास' और 'बजरंगी भाईजान' जैसी फिल्मों के लिए डिजायन का काम कर चुके हैं, जो सेट्स काफी लोकप्रिय हुए।
(फाइल फोटो)
पिछले चुनाव से बिहार राजनीति में इंट्री लेने वाले मुकेश साहनी शुरू में नीतीश कुमार को समर्थन करते थे। लेकिन, बता दें कि उस समय एनडीए और जेडीयू के बीत गठबंधन टूट गया था। ऐसे में बीजेपी को लगने लगा था कि मल्लाह वोटर्स में अच्छी पकड़ रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के खिलाफ वो अच्छा विकल्प बन सकते हैं। जिसके चलते बीजेपी ने मुकेश साहनी को अपने खेमें में मिला लिया था।
(फाइल फोटो)
बताते हैं कि उस समय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने करीब 40 सभाओं में मुकेश साहनी को अपने साथ रखा। वह उन्हें अपने साथ हर दिन हेलीकॉप्टर में ले जाते थे और दोनों संयुक्त सभा को संबोधित करते थे। लेकिन, चुनाव बाद यह बात सामने आई कि मल्लाह वोटरों का झुकाव नीतीश कुमार के प्रति अधिक रहा।
(फाइल फोटो)
मुकेश साहनी भी बीजेपी की विधानसभा चुनाव में हार के बाद फिर वापस मुंबई चले गए थे। लेकिन, पिछले एक वर्ष से बिहार की राजनीति में फिर सक्रिय हुए। वे मल्लाह जाति को वोटरों को एकजुट करने के काम में जुटे हैं। इसके लिए हेलीकॉप्टर, विशेष रथ तक का सहारा ले चुके हैं।
(फाइल फोटो)
बता दें कि मुकेश साहनी सालों से निर्विवाद तौर पर निषाद समाज के नेता बने रहने में सफल रहे हैं। दबाव बनाने के लिए वह निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करते आ रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वह और उनकी पार्टी राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगी। साथ ही कहा कहा था कि हमारे 15 प्रतिशत वोट सरकार बना सकते हैं और तोड़ सकते हैं। उत्तरी बिहार में हमारी अच्छी खासी मौजूदगी है।
(फाइल फोटो)