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गुप्तेश्वर ही नहीं इन IAS-IPS अफसरों ने भी नौकरी छोड़कर जॉइन की थी पॉलिटिक्स, कुछ बने CM कई मंत्री
पटना (Bihar) । बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) ने रिटायर होने के पांच माह पहले ही वीआरएस (Vrs) ले लिया है। चर्चा है कि वह एनडीए से बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) लड़ना चाहते हैं। वैसे गुप्तेश्वर से पहले कई अफसरों (Officers) ने प्रशासनिक नौकरी छोड़कर राजनीति का रुख किया। ये लिस्ट बहुत लंबी है। खास बात यह है कि इसमें बिहार के भी कई शामिल हैं। देशभर में जिन अफसरों ने राजनीति (Politics) के लिए नौकरी छोड़ी उनमें कई काफी कामयाब हुए। मुख्यमंत्री (Chief Minister) तक का पद हासिल किया। कुछ मंत्री भी बने। हालांकि इक्का-दुक्का को राजनीति ज्यादा रास नहीं आई। आइए जानते हैं राजनीति में आने वाले ऐसे ही कुछ अफसरों के बारे में
| Published : Sep 23 2020, 02:03 PM IST / Updated: Sep 23 2020, 02:04 PM IST
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आरके सिंह बिहार कैडर के चर्चित आईएएस थे। वो 2000 से 2005 तक गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर भी रहे। 2011 से 2013 तक गृह मंत्रालय में सचिव पद पर काम किया। लेकिन, रिटायरमेंट के बाद बीजेपी जॉइन कर ली। सांसद बने और मोदी कैबिनेट में उन्हें मंत्री भी बनाया गया।
जनरल वीके सिंह राजनीति में आने से पहले थल सेनाध्यक्ष अध्यक्ष थे। वे ऐसे पहले आर्मी चीफ हुए, जिन्होंने कमांडो ट्रेनिंग ले रखी थी। बाद में बीजेपी के सांसद बनें फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री बनाए गए। वह इस समय भी केंद्रीय राज्यमंत्री हैं।
अरविंद केजरीवाल ने 1992 में आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) ज्वाइन की थी। सामाजिक कार्याओं कार्यों के ली उन्हें 2006 में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हालांकि सामाजिक राजनीति के लिए केजरीवाल ने सरकारी नौकरी से वीआरएस ले लिया। वो अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार की मुहिम के खिलाफ शामिल चर्चित नेताओं में थे। बाद में उन्होंने आम आदमी पार्टी के नाम से अपनी पार्टी बना ली। इस समय वो दिल्ली के सीएम हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने साल 1963 में आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) ज्वाइन की थी। हालांकि साल 1989 उन्होंने नौकरी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली। अय्यर कांग्रेस सरकार में तीन बार मंत्री बनें।
यशवंत सिन्हा आईएएस अफसर थे। डिप्टी कमिश्नर के रूप में उन्होंने काम किया। अविभाजित बिहार में उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में जॉइन कर ली। बीजेपी के सांसद बने और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्तमंत्री का महत्वपूर्ण ओहदा संभाला। बाद में वो बीजेपी से अलग हो गए। अब अपनी पार्टी बनाकर बिहार और झारखंड में राजनीति करते हैं।
ओडिशा की चर्चित आईएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी ने रिटायर होने से 11 साल पहले नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने बीजेपी जॉइन कर लिया। वो बीजेपी से सांसद हैं।
शाह फैसल 2009 में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा टॉप करने वाले पहले कश्मीरी थे। हालांकि जनवरी 2019 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर खुद की पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट बना ली। लेकिन, कुछ माह पहले ही उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। शाह फैसल को राजनीति रास नहीं आई और कहा जा रहा है कि वो फिर से वापस सिविल सेवा में आना चाहते हैं।
हरियाणा की प्रीता हरित 1987 बैच की आईआरएस अधिकारी थीं। उन्हें यूपी में तैनाती मिली थी। लेकिन, वो 2019 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस जॉइन कर लिया।
सत्यपाल सिंह 1980 बैच के महाराष्ट्र कैडर के चर्चित आईपीएस अफसर थे। 2012 में वह मुंबई के पुलिस कमिश्नर बनाए गए। लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति जॉइन कर ली। बीजेपी के टिकट पर यूपी से सांसद बने।
ओपी चौधरी 2005 बैच के आईएएस अधिकारी थे। नक्सल प्रभावित इलाके में बेहतरीन कार्य के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार से भी सम्मानित ही चुके हैं। थे। लेकिन, 2018 में उन्होंने नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली। वह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं।
जीतनराम मांझी ने भी टेलीफोन विभाग में सरकारी नौकरी करते थे। लेकिन, छोटे भाई के पुलिस अधिकारी बनने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति जॉइन कर ली। वह कई बार विधायक, सांसद बने। बिहार के सीएम भी बने थे। उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा एनडीए में शामिल है।
गुप्तेश्वर पांडेय भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे। वे बिहार के पुलिस महानिदेशक के रूप में सेवारत थे। लेकिन, रिटायर होने के पांच माह पहले ही वीआरएस ले लिए हैं। खबर है कि वह अब विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।