बिहार का वो लाल जिसे दुनिया 'मखाना किंग' के नाम से जानती है, इस काम से कमाया नाम
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जमुई जिले के खैरा स्टेट से ताल्लुक रखने वाले सत्यजीत सिंह की स्कूली शिक्षा-दीक्षा जमुई हाईस्कूल में हुई। इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट से पीजी तक की पढ़ाई की थी।
वो आईएएस बनना चाहते थे। इसके लिए यूपीएससी की परीक्षा में दो बार (1992/94) बैठे और इंटरव्यू तक दिए। लेकिन, सफल नहीं हुए। 1996 में एक इलेक्ट्रॉनिक कंपनी की एजेंसी ली और उसे दिन-रात आगे बढ़ाने में लग गए। 2002 तक सालाना टर्नओवर 9 करोड़ हो गया।
सत्यजीत सिंह कहते हैं कि साल 2003 में वो बेंगलुरू से पटना आ रहे थे। हवाई यात्रा के दौरान राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान बोर्ड के तत्कालीन निदेशक जनार्दन से मुलाकात हो गई, बातों-बातों में उन्होंने मखाना के व्यावसायिक फायदे के बारे में बताया। जिसके बाद पटना पहुंचते ही मन के अंदर छटपटाहट होने लगी।
दरभंगा से लेकर कटिहार तक के गांवों में मखाना की खेती करने वाले लोगों से मिले। मिथिला विश्वविद्यालय जाकर मखाना पर हुए शोध की फाइलों को खंगाली। किसानों से संपर्क किए। किसानों का ग्रुप क्रिएट किए और वर्ष 2004 में बोरिंग रोड में दफ्तर खोल शक्ति सुधा नाम से काम शुरू कर दिया।
वो बताते हैं कि अब मखाना (गारगन नट) की बिक्री ऑन लाइन भी हो रही है। दुनिया के कई देशों से लोग इसे ऑनलाइन मंगवाते हैं। लगभग 22 हजार कस्टमर रजिस्टर्ड हैं। आज देश के 15 राज्यों के साथ पांच देशों में इनका प्रोडक्ट जाता है।
सत्यजीत बताते हैं कि तब मखाना उत्पादक बिचौलियों से त्रस्त थे। दरभंगा के मनीगाछी के नुनू झा इस सफर से जुड़ने वाले पहले उत्पादक थे। उस समय किसानों को एक किलो मखाना का 65 रुपया मिला करता था और अभी उन्हें 225 रुपए मिलते हैं। 2006 में 8.5 हजार टन तक उत्पादन होता था और अभी 22 हजार टन का उत्पादन हो रहा है।
किसानों को प्रति एकड़ एक लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है। 32 उत्पादकों से शुरू यह सफर वर्तमान समय में 12000 तक पहुंच गया है। शक्ति सुधा इंडस्ट्रीज के प्रोडक्ट 15 राज्यों एवं पांच देशों में उपलब्ध हैं।
सत्यजीत सिंह मां दुर्गा और साईं बाबा के भक्त हैं। इसलिए उन्होंने अपनी कंपनी के नाम का पहला अक्षर शक्ति रखा और नारी शक्ति को मानते हुए ही पत्नी सुधा का नाम जोड़कर ‘शक्ति सुधा’ के नाम से इंडस्ट्री शुरू की।
सीआईआई बिहार चैप्टर के पांच साल (2007-12) तक चेयरमैन रहे सत्यजीत अभी पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के बिहार कमेटी के चेयरमैन हैं। वो बिजनेस में कदम रखने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं।