MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • States
  • Bihar
  • यहां आम की फसल देखकर मां-बाप तय करते हैं अपने बच्चों की शादी, घर-घर में है कार, ऐसे पूरे होते हैं इनके सपने

यहां आम की फसल देखकर मां-बाप तय करते हैं अपने बच्चों की शादी, घर-घर में है कार, ऐसे पूरे होते हैं इनके सपने

वैशाली ( Bihar)। बिहार के हरलोचनपुर सुक्की गांव की मिट्टी वैसे तो हर फसल के लिए उपयुक्त है। लेकिन, यहां के किसानों की खुशहाली आम के बागों पर निर्भर करती है। कुल 2200 एकड़ रकबा वाले गांव की दो हजार एकड़ जमीन पर केवल आम के बाग हैं। यहां आम की फसल देखकर किसान अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और बेटे-बेटी की शादियां तय करते हैं। वे बताते हैं कि तीन-चार साल के भीतर गांव में आम पर निर्भर किसानों के 40-45 बेटियों के हाथ पीले किए हैं। किसान अपनी आर्थिक जरूरतों को देखते हुए तीन-चार साल के लिए बागों को व्यापारियों को देकर अग्रिम पैसे ले लेते हैं।

2 Min read
Asianet News Hindi
Published : Jun 13 2020, 04:04 PM IST| Updated : Jun 13 2020, 04:05 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
17


हरलोचनपुर सुक्की गांव की यह खुशहाली आजादी के पहले नहीं थी। नून नदी के किनारे बसे इस गांव में बाढ़ हर साल किसानों के सपने बहा ले जाती थी। जमीन पर पांव जमाने लायक जगह भी नहीं बचती थी। फसलें मारी जाती थीं। 

27


साल 1940 में गांव के बड़े-छोटे जोत वाले किसानों ने बाढ़ से फसल की बर्बादी को देखते हुए आम के पौधे लगाने का निर्णय लिया। देर-सबेर और किसानों ने भी यही किया। आम से आमदनी के लिए उन्हें 10 वर्षों का इंतजार करना पड़ा, लेकिन साल 1950 के बाद यहां के लोगों की किस्मत बदल गई।

37


करीब 70 सालों से इस गांव को आम के बाग ही पाल-पोस रहे हैं। गांव में सम्पन्नता और रौनक है तो आम की वजह से। शायद ही कोई ऐसा परिवार है, जिसके दरवाजे पर कार न हो। 
।
 

47


हरलोचनपुर सुक्की गांव आम का इको फ्रेंडली गांव है। जहां बागों में विभिन्न वेरायटी के पेड़ हैं। यहां मालदह, सुकुल, बथुआ, सिपिया, किशनभोग, जर्दालु आदि कई प्रकार के आम होते हैं। यह गांव लेट वेरायटी वाले आमों का मायका भी कहा जाता है।

57


हरलोचनपुर सुक्की गांव के आम पश्चिम बंगाल व यूपी सहित देश के कई भागों में भेजे जाते हैं। ये आम बिहार के अन्य जिलों में भी जाते हैं। इसके लिए किसानों को मेहनत नहीं करनी पड़ती। व्यापारी खुद आकर आम के बाग खरीद लेते हैं और अच्छी कीमत देकर बागों को खरीद लेते हैं।

67


हर साल नए-नए उपाय कर आम के मंजरों (बौर) को बचाया जाता है। किसान कीड़े से बचाने के लिए पेड़ के तने पर चूने का घोल लगवाते हैं। मिट्टी की जांच होती है और बागों की सिंचाई कराई जाती है। आम में लगने वाले दूधिया और छेदिया रोगों से बचाव के लिए छिड़काव किया जाता है। पानी में गोंद घोलकर भी डालते हैं।
 

77


एक एकड़ में 90 पौधे लगाए जाते हैं। एक तैयार पेड़ में चार क्विंटल तक फल आते हैं। अगर मौसम ने अच्छा साथ नहीं दिया तो भी औसतन ढ़ाई से तीन क्विंटल फल हर पेड़ पर आते हैं। इस गांव के जितने रकवे में आम के बाग हैं, उनमें करीब सात लाख टन तक उत्पादन होता है।

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved