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विकास दुबे एनकाउंटरः बिहार से होती थी तमंचों की सप्लाई, 2 माह में गलाकर बनवा दिए जाते थे नये
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दो जुलाई को विकास दुबे के गुर्गों ने लाइसेंसी के साथ ही अवैध हथियारों से पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त जांच में इसका खुलासा हुआ है। (फाइल फोटो)
जांच में यह भी पता चला है कि विकास दुबे का अवैध तमंचों की सप्लाई का भी एक बड़ा नेटवर्क था। उसके सप्लायरों के बारे में जानकारी मिली है। वे फिलहाल अंडरग्राउंड हैं और पुलिस तलाश में लगी है। कुछ अपग्रेडेड कंट्री मेड (देसी) पिस्टल की सप्लाई बिहार से होती थी। (फाइल फोटो)
अब तक गिरफ्तार किए गए विकास के गुर्गों ने पुलिस को बताया है कि घटना की रात विकास के बुलावे पर लाइसेंसी असलहा तो लाए ही थे, फायरिंग में एक दर्जन से ज्यादा अवैध तमंचों का भी इस्तेमाल हुआ था। (फाइल फोटो)
पहले राउंड में तमंचों से ही फायरिंग की गई। उसके बाद लाइसेंसी असलहों का प्रयोग किया। यह भी बताया कि इतनी बड़ी संख्या में अवैध तमंचों की सप्लाई शुक्लागंज, उन्नाव और बिल्हौर के अलावा एमपी से होती थी। कुछ अपग्रेडेड कंट्री मेड (देसी) पिस्टल की सप्लाई बिहार से होती थी। (फाइल फोटो)
उन्नाव, शुक्लागंज और बिल्हौर के चार सप्लायर विशेष तौर पर विकास के लिए तमंचे तैयार कराते थे। वह इनके बड़े ग्राहकों में शामिल था। विकास के गुर्गे खुद इतने शातिर थे कि असलहा देखकर उसकी पहचान बता देते थे। वह ऐसे तमंचे चुनते थे, जो फायरिंग मिस न करे। यही स्पलायर अवैध कारतूस भी मुहैया कराते थे। (फाइल फोटो)
एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त टीम इन सप्लायरों को खोजने में लगी है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि असलहों के मामले में विकास का गिरोह हमेशा अपडेट रहता था। (फाइल फोटो)
विकास दुबे की गैंग में कोई नया शामिल होता तो सबसे पहले उसे तमंचा ही थमाया जाता था। यही नहीं, तमंचे कहीं धोखा न दें, इसलिए हर दो माह में वह इन्हें बदलवा देता था। पुराने तमंचों को गलाकर नए तैयार किए जाते थे। (फाइल फोटो)