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घर से 45 रुपए चुराकर मुंबई पहुंचे थे सावन कुमार, कभी मीना कुमारी ने इन्हें शादी के लिए किया था प्रपोज
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बचपन से ही थी एक्टर बनने की चाहत
9 अगस्त 1936 को जयपुर में जन्में सावन कुमार हमेशा से ही एक्टर बनना चाहते थे। एक्टर बनने की चाह में सावन मां के 45 रुपए चुरा कर कोलकाता चले गए थे। वहां उनकी मुलाकात सत्यजीत रे से हुई थी। सत्यजीत रे की सिनेमैटोग्राफी से इंस्पायर होकर उन्होंने डायरेक्शन के फील्ड में करियर बनाने का सोचा। इसी सफर को आगे बढ़ाने के लिए वो मुंबई आ गए।
इन्होंने ही बदला था संजीव कुमार का नाम
सावन ने अपने करियर की शुरुआत 1967 में रिलीज हुई फिल्म 'नौनिहाल' से की थी। उन्होंने ही इसकी कहानी भी लिखी थी। इस फिल्म में संजीव कुमार लीड रोल में थे जिनका असली नाम हरिभाई जरीवाला था। सावन ने ही उन्हें अपना नाम बदलने की सलाह दी थी। फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कारों में राष्ट्रपति पद का उल्लेख मिला था। सावन के निर्देशन में बनी फिल्मों से ही संजीव कुमार और जूनियर महमूद को देशभर में पहचान मिली थी।
इन्हीं की फिल्म पूरी करने के लिए मीना कुमारी ने बेच दिया अपना बंगला
1972 में रिलीज हुई हिट फिल्म 'गोमती के किनारे' सावन की डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म थी। यही मीना कुमारी की आखिरी फिल्म भी बनी, जो उनके निधन के बाद रिलीज हुई। इस फिल्म को बनाने के लिए सावन की बहन और जीजा ने उन्हें 30 हजार रुपए दिए थे पर जब इसे बनाने के दौरान सावन कुमार के पास पैसे खत्म हुए तो मीना कुमारी ने अपना बंगला तक बेच दिया था। इसी फिल्म के सेट पर मीना कुमारी इन पर फिदा हो गई थीं।
बीमारी के दौरान की मीना कुमारी ने किया प्रपोज
सावन ट्रैजडी क्वीन मीना कुमारी की जिंदगी के आखिरी वक्त का हिस्सा थे। 1972 में तबीयत खराब होने पर मीना कुमारी को मुंबई के सेंट एलिजाबेथ नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। इस दौरान सावन कुमार ने ही उनकी देखभाल की थी। बीमारी के दौरान ही मीना कुमारी ने उन्हें शादी के लिए भी प्रपोज किया था, लेकिन गंभीर बीमारी से जूझ रही मीना कुमारी का निधन हो गया था।
मीना कुमारी की कब्र के पास घंटों रोते रहे
सावन कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 'जिस दिन मीना कुमारी की मौत हुई मैं वहां मौजूद था। उनको मुंबई के रहमताबाद कब्रिस्तान में दफनाया गया। सब लोग उनके पार्थिव शरीर पर मिट्टी डालकर जा चुके थे। मुट्ठी में मिट्टी लिए मैं ही आखिरी शख्स बचा था। तब तक मेरी आंखों में आंसू की एक बूंद भी नहीं आई। मानो जैसे पत्थर का हो गया था। पर जैसे ही मैंने कब्र के पास घुटने टिकाए और एक मुट्ठी मिट्टी डाली तो मेरी आंखें जैसे सावन की तरह बरस पड़ी। मैं घंटों कब्र के पास ही रोता रहा'। करीब 8 महीने बाद नवंबर 1972 में मीना कुमारी की आखिरी फिल्म 'गोमती के किनारे' रिलीज हुई जो काफी हिट रही थी।
मॉरिशस में पहली भारतीय फिल्म शूट करने वाले डायरेक्टर बने
1983 में रिलीज हुई राजेश खन्ना स्टारर फिल्म 'सौतन' को साजन कुमार ने ही डायरेक्ट किया था। यह फिल्म मॉरिशस में शूट होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। यह प्लेटिनम जुबली हिट थी।
लिखे कई मशहूर गीत
सावन गीतकार भी थे। उन्होंने ही फिल्म 'सौतन' का बेहद मशहूर गीत 'जिंदगी प्यार का गीत है...' लिखा था। इसके अलावा उन्होंने 'तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम' (हवस), 'शायद मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है' (सौतन) और ऋतिक रोशन की डेब्यू फिल्म 'कहो ना प्यार है ' के कुछ गाने भी लिखे थे।
कई बड़े कलाकारों को किया डायरेक्ट, सलमान संग बनाई आखिरी फिल्म
सावन ने मीना कुमारी, राजेन्द्र कुमार, नूतन, राजेश खन्ना, संजीव कुमार, रेखा और सलमान खान के साथ कई फिल्में बनाई और उन फिल्मों के गीत भी लिखे। सावन ने अपनी आखिरी फिल्म 2006 में सलमान खान के साथ बनाई। इस फिल्म का नाम था, 'सावन: द लव सीजन'।
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