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36 साल पहले इस फिल्म ने डाली थी अमिताभ की जान जोखिम में, एक पल के लिए डॉक्टर ने बता दिया था डेड
| Published : Dec 02 2019, 01:51 PM IST
36 साल पहले इस फिल्म ने डाली थी अमिताभ की जान जोखिम में, एक पल के लिए डॉक्टर ने बता दिया था डेड
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बिग बी को दर्द हो रहा था और वे जानते थे कि उन्हें चोट लगी है। लेकिन खून की एक बूंद भी नहीं निकली। इसलिए बिग बी और फिल्म के कास्ट-क्रू मेंबर्स ने इसे मामूली चोट समझा। उनके पेट पर दो बार मलहम लगाया गया। लेकिन जब आराम नहीं लगा तब अमिताभ होटल वेस्ट एंड चले गए, जो उन्होंने दो सप्ताह के लिए बुक कर रखा था। दर्द कम नहीं हुआ तो डॉक्टर को बुलाया गया। लेकिन उन्होंने भी यही कहा कि कोई गहरी चोट नहीं है। डॉक्टर्स पेन किलर दवाएं देकर चले गए ताकि वे आराम से सो सकें।
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हादसे के अगले दिन जब दर्द में कोई कमी नहीं हुई। बिग बी के पर्सनल फिजिशियन डॉ. केएम. शाह को बुलाया गया। डॉ. शाह उनकी हालत देख बेहद नाराज हुए। तुरंत उन्हें बेंगलुरु के सेंट फिलोमेना हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। एक्स-रे किया गया, लेकिन इसमें भी किसी तरह की सीरियस इंजरी डॉक्टर्स को समझ नहीं आई। हालांकि, मेडिकल एक्सपर्ट्स ने कहा कि बिग बी के कुछ टेस्ट्स और किए जाने चाहिए।
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अमिताभ की स्थिति और बिगड़ गई। यूनिट के कई बार आग्रह करने के बाद वेल्लोर के जाने-माने सर्जन एचएस. भट्ट, अमिताभ का केस देखने तैयार हुए। रिपोर्ट देखते ही डॉ. भट्ट ने कहा- 'तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा। क्योंकि इन्फेक्शन बिग बी की बॉडी में फैल चुका है।' अमिताभ को तेज बुखार हो गया था और वे बार-बार उल्टी भी कर रहे थे। उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई। उनकी धड़कन एक मिनट में 72 की जगह 180 की स्पीड से चलने लगी। और वे कोमा में चले गए थे।
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डॉक्टर्स ने ऑपरेशन शुरू किया। उन्होंने बिग बी का पेट चीरकर देखा तो हैरान रह गए। अमिताभ के पेट की झिल्ली (जो पेट के अंगो को जोड़े रखती है और कैमिकल्स से उन्हें बचाती है) फट चुकी थी। छोटी आंत भी फट गई थी। इस स्थिति में किसी का भी 3 से 4 घंटे जिंदा रहना भी मुश्किल होता है। लेकिन अमिताभ 3 दिन तक इस कंडीशन से गुजरे। डॉक्टर्स ने पेट की सफाई की, आंत सिली। उस वक्त अमिताभ को पहले से ही कई बीमारियां (अस्थमा, पीलिया के कारण एक किडनी भी खराब हो चुकी थी, डायबिटीज) थीं। ऐसे में वे इतने दिन इस प्रॉब्लम से कैसे लड़े, ये किसी आश्चर्य से कम नहीं था।
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ऑपरेशन के अगले दिन बिग बी को निमोनिया भी हो गया। उनके शरीर में जहर फैलता जा रहा था, खून पतला हो रहा था। ब्लड डेंसिटी को सुधारने के लिए बेंगलुरू में सेल्स मौजूद नहीं थे, जिन्हें मुंबई से मंगवाया गया। खून में सेल्स मिलाने के बाद अमिताभ की स्थिति 4 दिनों में पहली बार कुछ सुधरी थी, लेकिन 29 जुलाई को फिर उनकी हालत खराब हो गई और जैसे-तैसे उन्हें संभाला गया। मीटिंग कर डॉक्टर्स ने तय किया कि अमिताभ को मुंबई ले जाना ही सही होगा, वहां बेहतर इलाज की सुविधा थी।
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आखिर में एयरबस के जरिए अमिताभ को मुंबई ले जाना तय हुआ। स्टेचर पर लेटे अमिताभ को क्रेन की मदद से एयरबस में शिफ्ट किया गया। 31 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे एयरबस मुंबई पहुंची। उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल की दूसरी मंजिल पर स्पेशल विजिलेंस वॉर्ड में रखा गया।
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अमिताभ का दोबारा ऑपरेशन किया गया। यह ऑपरेशन करीब 8 घंटे चला था। उस वक्त ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल किसी रेलवे स्टेशन से कम नजर नहीं आ रहा था। लेकिन बिग बी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई थी। चौबीसों घंटे ब्रीच कैंडी अस्पताल के बाहर हजारों प्रशंसकों की भीड़ लगी रहती थी। देशभर में उनके लिए प्रार्थनाओं का दौर जारी था।
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आखिरकार अमिताभ को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई। लोगों की बेकाबू भीड़ उनका इंतजार कर रही थी। ठीक होने पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद देते हुए अमिताभ ने कहा था, 'जिंदगी और मौत के बीच यह एक भयावह अग्नि परीक्षा थी। दो महीने का अस्पताल प्रवास और मौत से लड़ाई खत्म हो चुकी है। अब मैं मौत पर विजय पाकर अपने घर प्रतीक्षा लौट रहा हूं।' घर पहुंचकर उन्होंने हाथ हिलाकर अपने शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा किया। इतना ही नहीं उन्हें ठीक देखकर पिता हरिवंशराय बच्चन तक के आंसू निकल आए थे।