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शोले @ 47: एक रिजेक्टेड आइडिया था शोले, जानें कौन थे असली जय-वीरू जिनका नाम मिला था अमिताभ-धर्मेंद्र को
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बता दें कि फिल्म शोले का आइडिया सलीम-जावेद ने कई प्रोड्यूसर्स को सुनाया, लेकिन कोई फिल्म बनाने को तैयार नहीं हुआ। उस जमाने के बड़े फिल्म मेकर्स जैसे मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा ने फिल्म को रिजेक्ट कर दिया। हालांकि, रमेश सिप्पी ने फिल्म बनाई और यह ब्लॉकबस्टर साबित हुई।
फिल्म में अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र का नाम जय-वीरू होता है। क्या आप जानते है असल में यह नाम किसके हैं, नहीं, तो हम बता हैं। दरअसल, जय और वीरू सलीम खान के दो दोस्तों के नाम है, जो उनके साथ कॉलेज में पढ़ा करते थे। उन्होंने बिग बी और धर्मेंद्र को अपने दोस्तों का नाम दिया था।
फिल्म में संजीव कुमार ने ठाकुर बलदेव सिंह का रोल प्ले किया था। आपको बता दें कि असल में ठाकुर बलदेव सिंह, सलीम खान के ससुर का नाम था। वे इस नाम से काफी इम्प्रेस्ड थे और फिल्म में इस नाम को यूज किया।
शायद कम ही लोग जानते हैं कि फिल्म ठाकुर बलदेव सिंह का रोल दिलीप कुमार को भी ऑफर किया गया, लेकिन उन्होंने काम करने से मना कर दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था- इस रोल को ठुकराने का उन्हें हमेशा अफसोस रहा।
फिल्म में अमजद खान ने डाकू गब्बर सिंह का किरदार निभाया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि सलीम खान को यब नाम एक रियल डाकू के नाम से मिला था। कहा जाता है कि 1950 के दशक में ग्वालियर के पास एक डाकू हुआ करता था, जिसका नाम गब्बर सिंह थी। इस डाकू की कहानी सलीम खान ने अपने पुलिस ऑफिसर पिता से सुनी थी।
बात 1963 की है, जब जावेद अख्तर ने दिल्ली के एक यूथ फेस्टिवल में अमजद खान को एक नाटक में देखा था। उन्हें वे काफी इम्प्रेसिव लगे। मुंबई आकर उन्होंने अमजद के बारे में सलीम खान को बताया था। फिर जब करीब 10 साल शोले बनी तब अमजद को याद किया गया।
फिल्म में गब्बर सिंह का ऑडिशन देने अमजद खान को बैंगलुरु बुलाया गया था, लेकिन उनकी किस्मत देखो कि जिस फ्लाइट से उन्हें जाना था वो मुंबई एयरपोर्ट पर खराब हो गई। हालांकि, पांच घंटे बाद फ्लाइट ठीक होने पर वे बैंगलुरु पहुंचे, ऑडिशन दिया और सिलेक्ट हो गए। हालांकि, उनसे पहले यह रोल डैनी को दिया गया था।
कहा जाता है कि फिल्म में धर्मेंद्र ठाकुर बलदेव सिंह वाला किरदार निभाना चाहते थे और जिद्द पर अड़ गए थे। जबकि रमेश सिप्पी चाहते थे कि यह रोल संजीव कुमार निभाए। फिर सिप्पी ने एक पैंतरा आजमाया और कहा कि वीरू का रोल करने से वह बसंती यानी हेमा मालिनी के साथ वक्त गुजारने का मौका मिलेगा, तब कहीं, जाकर धर्मेंद्र माने थे। दरअसल, उन दिनों धर्मेंद्र-हेमा के अफेयर की खबरें काफी सुर्खियों में थी।
आपको जानकर हैरानी होगी इस फिल्म शूटिंग के दौरान जया भादुड़ी प्रेग्नेंट थी। जब जय तिजोरी की चाबी देने राधा यानी जया के पास जाता है, उस सीन की शूटिंग के कुछ दिनों उन्होंने बेटी श्वेता बच्चन को जन्म दिया था। जब फिल्म रिलीज हुई तब भी जया प्रेग्नेंट थी। रिलीज के करीब 6 महीने बाद उन्होंने बेटे अभिषेक बच्चन को जन्म दिया था।
आपको बता दें कि इस फिल्म को बनाने में करीब ढाई साल लगे थे। फिल्म का बजट वैसे तो डेढ़ करोड़ ही था लेकिन फिल्म की शूटिंग पूरी होते-होते इसका बजट 3 करोड़ तक पहुंच गया था। फिल्म का गाना ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे... को शूट करने में करीब 21 दिन लगे थे।
यदि आपने फिल्म देखी तो इसके शुरू होने के कुछ वक्त बाद ही ट्रेन की डकैती का एक सीन है। आपको बता दें कि इस सीन को शूट करने में करीब 50 दिन लगे थे। यह सीन बॉम्बे पूना ट्रेन रूट पर पनवेल के पास शूट किया गया था।
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